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‘इजरायल का खात्मा ही मकसद!’…क्या है हमास? जिसने 5 हजार रॉकेट दाग दहला दिया मिडिल ईस्ट

Israel Hamas Conflict: इजरायल को दहलाने वाला चरमपंथी संगठन हमास बेहद खतरनाक है। जिसने कुछ ही देर में 5 हजार रॉकेट दागकर मिडिल ईस्ट की शांति को भंग कर दिया था। ये संगठन कितना घातक है, इसके बारे में पता हमले से चलता है। जिसने कई लोगों की जान ले ली।

Israel Hamas Conflict: इजरायल और हमास में जंग तेज हो चुकी है। फलस्तीन का ये चरमपंथी गुट लगातार गाजा स्ट्रिप से इजरायल पर घातक हमला कर रहा है। जिसके कारण अब मिडिल ईस्ट में जंग के हालात हैं। एक, दो नहीं, इस गुट ने एक साथ 5 हजार रॉकेट दागकर इजरायल को निशाना बनाया है। इजरायल भी इतने बड़े हमले के लिए तैयार नहीं था। हमास को लेकर कहा जाता है कि वह इजरायल का खात्मा चाहता है। इजरायल में सुबह 7 बजे से ही हवाई हमले के सायरन बजने लगे थे। हमास के लड़ाकों ने जमीन स्तर पर भी हमला किया। गाजा स्ट्रिप के साथ लगते गांवों में कई नागरिकों और सैनिकों को हमास ने मौत के घाट उतार दिया। हमले की वजह और हमास के बारे में आगे चर्चा कर रहे हैं। हमास को फलस्तीनी गर्मख्याली संगठन और राजनीतिक पार्टी माना जाता है। इसे 1980 में बनाया गया था।

1990 के बाद हमास हुआ और खतरनाक

1987 में हमास ने इजरायल के खिलाफ इंतिफादा के जरिए फलस्तीनी आवाज को उठाया था। हमास का मतलब होता है इस्लामिक रेजिसटेंस मूवमेंट। जिसको बनाया था शेख अहमद यासीन ने। जो 12 साल की ऐज से व्हीलचेयर पर था। उसको धार्मिक नेता माना जाता है। जिसे 2004 में इजरायल ने मार गिराया था। 1990 के बाद हमास ने खुद को मिलिट्री संगठन के तौर पर डेवलप किया। यह भी पढ़ें-IMD Weather Update: 7 राज्यों में होगी भारी बारिश, उत्तर भारत में मौसम रहेगा शुष्क; जानें आपके शहर का हाल हमास अब खुद और सरकार को गाजा स्ट्रिप से ऑपरेट करता है। इसकी मिलिट्री विंग का नाम इज्जेदीन अल-कासम ब्रिगेड है। जो इजरायल पर अटैक करती है। 1948 में इजरायल बनने के बाद मुस्लिम मुल्क इसके खिलाफ हो गए थे. क्योंकि फलस्तीन की सत्ता में जॉर्डन, मिस्र, सीरिया भी भागीदार थे। फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन को 1964 में बनाया गया था।

यासीर अराफात को माना जाता था लोकप्रिय नेता

जिसका काम इजरायल का मुकाबला करना था। यासीर अराफात को 1980-90 के दशक में इसका लोकप्रिय नेता माना जाता था। उनकी पार्टी फाताह 1996 में गाजा और वेस्ट बैंक से बहुमत में आई थी। दोनों एरिया की फलस्तीन नेशनल अथॉरिटी के तौर पर पहचान थी। जिसको यूएन से भी मान्यता थी। लेकिन 2004 में अराफात की मौत के बाद फलस्तीन नेशनल अथॉरिटी और फाताह पार्टी का कंट्रोल महमूद अब्बास के पास चला गया। जिसके पास मिलिट्री विंग को मजबूत करने की जिम्मेदारी थी। 2005 के इलेक्शन में फाताह जीत गई। वहीं, गाजा स्ट्रिप में हमासा को जीत मिली। राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद सरकार की जिम्मेदारी फाताह के पास थी। लेकिन 2006 में हमास ने तख्तापलट कर दिया। 2007 में गाजा पर फतेह कर कहा कि यहां हमारी सरकार है। वेस्ट बैंक में फाताह की।

दोनों के बीच ये है विवाद की जड़

अब दोनों के बीच विवाद की जड़ अल अक्सा मस्जिद कंपाउंड है। हमास का मिलिट्री कमांडर मोहम्मद दीफ है। जिसने ऑपरेशन अल-अक्सा स्टोर्म चलाने का एलान कर रखा है। इस ऑपरेशन का मकसद भी अल अक्सा कंपाउंड की आजादी है। यह मस्जिद यरुशलम शहर में हैं। हाल में यहां पर यहूदी लोग आ रहे हैं। वजह है अपना त्योहार मनाना। यह भी पढ़ें-NRI पत्नी को फांसी की सजा, ब्वॉयफ्रेंड को उम्रकैद; इंग्लैंड में रची थी कत्ल की साजिश, पति को भारत में उतारा मौत के घाट ये लोग टेंपल माउंट में प्रार्थना करते हैं। दीफ ने कहा है कि ये इजरायल के खिलाफ हमारा पहला स्टैप है। हम चेतावनी देते हैं कि अल अक्सा को लेकर आक्रामकता न दिखाएं। नहीं तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हमास की ओर से वेस्ट बैंक के फलस्तीनियों से भी इजरायल पर हमला करने को कहा गया है। लोगों से कहा है कि वे सड़कों पर उतरें। हमला करें।


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