Imran Khan Arrest: ‘अगर गिरफ्तारी अवैध तो इमरान खान को फौरन रिहा करना होगा…’, IHC ने फैसला सुरक्षित रखा
Imran Khan
Imran Khan Arrest: पाकिस्तान के पूर्व इमरान खान को मंगलवार दोपहर इस्लामाबाद हाईकोर्ट (IHC) से रेंजर्स ने गिरफ्तार कर लिया। हाईकोर्ट ने इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख और गृह मंत्रालय के सचिव व अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल को 15 मिनट के भीतर अदालत में पेश होने के लिए आदेश दिया था। यह भी कहा था कि अगर पुलिस प्रमुख पेश नहीं हुए तो प्रधानमंत्री को समन जारी करेंगे।
इस आदेश के बाद कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो इस्लामाबाद आईजी अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल और आंतरिक सचिव के साथ अदालत में पेश हुए। आईएचसी के चीफ जस्टिस फारुक ने नाराजगी दिखाते हुए कहा कि हमने आपको 15 मिनट के भीतर अदालत में पेश होने के लिए कहा था, लेकिन आप 45 मिनट के बाद आए। आईजी ने जवाब दिया कि उन्हें इमरान की गिरफ्तारी के बारे में मीडिया से पता चला था। इमरान खान को भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने अदालत में गिरफ्तारी वारंट पेश किया।
अगर गिरफ्तारी कानून का उल्लंघन है...
जस्टिस फारूक ने कहा कि जहां तक मुझे पता है और अदालत के कर्मचारियों ने जो कहा इमरान को एनएबी (राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो) द्वारा गिरफ्तार नहीं किया गया था। उन्होंने कहा df अगर गिरफ्तारी कानून का उल्लंघन है तो मैं उचित आदेश जारी करूंगा।
खिड़कियों को तोड़ा, मिर्च का किया स्प्रे
इसके बाद, वकील गौहर खान बेंच के सामने आए। उन्होंने कहा कि जब रेंजर्स अधिकारी इमरान खान को ले गए तो वह मौके पर थे। रेंजर्स पीटीआई प्रमुख को बायोमेट्रिक कमरे में प्रवेश करने से पहले ही गिरफ्तार करने की कोशिश कर रहे थे। रेंजर्स ने खिड़कियों को तोड़ दिया और काली मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल किया। उन्होंने इमरान खान को रॉड से मारा। वह इस संबंध में अदालत में अपना बयान दर्ज कराने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि मैंने यह सब अपनी आंखों से देखा है। रेंजर्स ने उनके घायल पैर पर भी वार किया। उन्होंने कहा कि न्यायिक स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है। वहीं, पीटीआई के वकील ख्वाजा हारिस ने कहा कि न्याय हर नागरिक का अधिकार है। आज की गिरफ्तारी न्यायिक स्वतंत्रता पर हमले से कम नहीं है। कानून एनएबी को किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने की इजाजत नहीं देता है, जबकि जांच अभी भी चल रही है।
रेंजर्स ने कमरे में मौजूद सभी को पीटा
पीटीआई के एक अन्य वकील एडवोकेट अली बुखारी ने कहा कि इमरान खान अपना बायोमेट्रिक्स करवाने की प्रक्रिया में थे। मैं वहां कमरे में था। रेंजर्स ने हमें दरवाजे खोलने के लिए कहा लेकिन पुलिस ने विरोध किया। फिर रेंजर्स ने खिड़कियां तोड़ दीं और कमरे में प्रवेश किया। रेंजर्स ने कमरे में मौजूद सभी लोगों को प्रताड़ित किया।
पीटीआई के वकील फैसल चौधरी ने कहा कि आईएचसी मामले की सुनवाई के लिए एक पूर्ण अदालत का गठन करे। आपकी अदालत पर हमला हुआ, मेरे घर पर हमला हुआ। हम आपसे इस अदालत की गरिमा को बहाल करने का अनुरोध करते हैं।
मेरे धैर्य की परीक्षा मत लो
सुनवाई के दौरान जस्टिस फारूक ने कहा कि अदालत ने पूरे मामले में संयम बरता है। मेरे धैर्य की परीक्षा मत लो। क्या यह न्यायिक स्वतंत्रता पर हमला नहीं है? क्या यह गिरफ्तारी अवैध नहीं है? सब कुछ आपके सामने है। वकीलों पर हमला किया गया है। मेरी अदालत पर हमला किया गया है। मुझ पर हमला किया गया है। न्यायाधीश ने आईएचसी परिसर में हो रही गिरफ्तारी पर कड़ा ऐतराज जताया।
शर्म करो-शर्म करो के लगाए नारे
अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल ने विरोध किया। कहा कि क्या IHC के पार्किंग स्थल और अन्य क्षेत्रों को कोर्ट रूम के समान माना जाना चाहिए। इस पर कोर्ट रूम में वकीलों ने 'शर्म करो, शर्म करो' के नारे लगाए। इस बीच, आईजी नासिर ने कहा कि उन्हें गिरफ्तारी के विवरण की जानकारी नहीं है, जिस पर न्यायमूर्ति फारूक ने कहा कि वकीलों ने पूरी आपबीती सुनाई थी। पुलिस प्रमुख ने कहा कि यदि आप मुझे मौका देते हैं, तो मैं इस मामले को देख सकता हूं।
इमारत की गरिमा को पहुंचा नुकसान
आईजी की बातों को सुनकर जस्टिस फारुक ने कहा कि मेरे भाई आज इस हालत में यहां खड़े हैं। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? खिड़कियों और दरवाजों को नुकसान महत्वपूर्ण नहीं है। इस इमारत की गरिमा को नुकसान पहुंचाना महत्वपूर्ण है। पूरा मामला सिस्टम से जुड़ा है। सिस्टम के बिना, कोई कैसे काम करेगा?" उन्होंने कहा और इन सवालों को लेकर अधिकारियों से जवाब भी मांगा।
एएनबी के महानिदेशक को किया तलब
जज ने एनएबी रावलपिंडी के महानिदेशक और अभियोजक जनरल को भी तलब किया और उन्हें 30 मिनट के भीतर अदालत में पेश होने का निर्देश दिया। जब सुनवाई फिर से शुरू हुई तो शाम 6 बजे के बाद एनएबी के अधिकारी अदालत में पेश हुए।
आईएचसी सीजे ने महानिदेशक से पूछा कि क्या इमरान के गिरफ्तारी वारंट, जो पहले इस्लामाबाद आईजी द्वारा अदालत में प्रस्तुत किए गए थे, एनएबी द्वारा जारी किए गए थे। एनएबी (रावलपिंडी) के डीजी सरदार मुजफ्फर ने जवाब दिया, हां, वारंट 1 मई को जारी किया गया था। उन्होंने अदालत को बताया कि एनएबी ने वारंट के निष्पादन के लिए आंतरिक मंत्रालय से सहायता मांगी थी।
न्यायमूर्ति फारूक ने पूछा, क्या वारंट के निष्पादन के दौरान एनएबी से कोई मौजूद था? मुजफ्फर ने जवाब दिया कि जांच अधिकारी बेला पहुंचे थे।
अगर गिरफ्तारी अवैध तो रिहा करना होगा
सुनवाई के आखिर में जस्टिस फारूक ने जोर देकर कहा कि अगर इमरान की गिरफ्तारी अवैध थी, तो उन्हें रिहा करना होगा। अगर गिरफ्तारी अवैध नहीं है, तो कानून के अनुसार कार्यवाही जारी रहेगी। इसके बाद जस्टिस फारूक ने यह कहते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया कि जल्द ही उचित आदेश जारी किया जाएगा।
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