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दुनिया के लिए खतरा बना रूस! अंतरिक्ष में चोरी-छिपे कर रहा ये काम, क्या अब शुरू होने वाली है ‘स्पेस वार’?

यूक्रेनी अधिकारियों का आरोप है कि मॉस्को चीन के साथ मिलकर अंतरिक्ष से यूक्रेनी क्षेत्र की निगरानी करवा रहा है. चीन की सैटेलाइट तकनीक और रूस की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता मिलकर पश्चिमी देशों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर रही हैं.

Russia Space War: रूस और चीन की अंतरिक्ष गतिविधियों ने पश्चिमी देशों की नींद उड़ा दी है. ब्रिटेन और जर्मनी दोनों ने खुलकर चेतावनी दी है कि रूस के उपग्रह लगातार उनके सैटेलाइट्स की जासूसी कर रहे हैं, उन्हें जाम कर रहे हैं और अंतरिक्ष में उनके मिशन में दखल दे रहे हैं. जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने कहा कि रूस की गतिविधियां, खासकर अंतरिक्ष में, अब सिर्फ चेतावनी का संकेत नहीं बल्कि सीधी चुनौती बन चुकी हैं. सितंबर में बर्लिन कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने खुलकर कहा था कि रूस की हरकतें अब पूरी दुनिया के लिए मूलभूत खतरा हैं, जिसे अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

ब्रिटेन ने भी जताई कड़ी आपत्ति


ब्रिटेन की ओर से भी यही सुर सुनने को मिले. यूके स्पेस कमांड के प्रमुख मेजर जनरल पॉल टेडमैन ने बताया कि रूस के सैटेलाइट लगातार उनके उपग्रहों का पीछा कर रहे हैं और साप्ताहिक आधार पर उन्हें जाम भी कर रहे हैं. इनके पास ऐसे पेलोड लगे हैं जो पश्चिमी सैटेलाइट्स से जानकारी चुराने की कोशिश करते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक हाल ही में रूस के दो टोही सैटेलाइट्स को ऐसे इंटेलसैट उपग्रहों का पीछा करते देखा गया जिनका उपयोग जर्मन सेना और उसके सहयोगी देश करते हैं. इंटेलसैट एक पॉपुलर कमर्शियल सैटेलाइट है, जिसका इस्तेमाल अमेरिका और यूरोप की कई सरकारें और कंपनियां करती हैं.

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चीन भी कुछ कम नहीं!


पिस्टोरियस ने कहा कि रूस और चीन ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी स्पेस वारफेयर कैपेसिटी में तेजी से इजाफा किया है. अब वे उपग्रहों को सिर्फ ट्रैक ही नहीं करते, बल्कि उन्हें ब्लॉक, छलावरण या सीधे नष्ट भी कर सकते हैं. इसी खतरे को देखते हुए जर्मनी ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए अरबों डॉलर का एक्स्ट्रा फंड देने का फैसला लिया है. यह पूरा घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब रूस यूक्रेन पर युद्ध छेड़े हुए है. यूक्रेनी अधिकारियों का आरोप है कि मॉस्को चीन के साथ मिलकर अंतरिक्ष से यूक्रेनी क्षेत्र की निगरानी करवा रहा है. चीन की सैटेलाइट तकनीक और रूस की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता मिलकर पश्चिमी देशों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर रही हैं.

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