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Anti Hijab Protests: ईरान में पहली बार हिजाब विरोधी प्रदर्शनकारी को होगी फांसी, तेहरान कोर्ट ने सुनाया फैसला

Anti Hijab Protests: ईरान में लगातार जारी अशांति के बीच सरकारी मीडिया ने रविवार को कहा कि ईरान की तेहरान कोर्ट ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के लिए मौत की सजा सुनाई है। इसके अलावा 5 लोगों को 10 साल की सजा सुनाई गई है। सत्तारूढ़ संभावित रूप से विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए […]

Iran unrest 31 killed so far in violent protests

Anti Hijab Protests: ईरान में लगातार जारी अशांति के बीच सरकारी मीडिया ने रविवार को कहा कि ईरान की तेहरान कोर्ट ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के लिए मौत की सजा सुनाई है। इसके अलावा 5 लोगों को 10 साल की सजा सुनाई गई है। सत्तारूढ़ संभावित रूप से विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए गिरफ्तार किए गए लोगों के लिए ये सजा सुनाई गई है।

ईरान की न्यायपालिका से जुड़ी न्यूज वेबसाइट मिज़ान ने कहा कि एक सरकारी इमारत में आग लगाने वाले प्रदर्शनकारी के आरोप में मौत की सजा दी गई है। मिजान ने कहा कि रिवोल्यूशनरी कोर्ट की अलग-अलग शाखाओं ने फैसले जारी किए, लेकिन मुकदमे के दौरान प्रदर्शनकारियों के बारे में अधिक जानकारी शेयर नहीं की। अभी पढ़ें Taliban Diktat: तालिबान ने जारी किया एक और फरमान, पार्कों के बाद अफगान महिलाएं जिम भी नहीं जा सकतीं   बता दें कि इस कोर्ट की स्थापना 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद की गई थी और इसे ईरान के मौलवी शासकों का विरोध करने वालों को कठोर दंड देने के लिए जाना जाता है।

आठ सप्ताह से जारी है सरकार विरोधी प्रदर्शन

सरकार विरोधी प्रदर्शन अपने आठवें सप्ताह में प्रवेश कर चुकी है। बता दें कि 22 वर्षीय महसा अमिनी की हिरासत में मौत के बाद से हिजाब को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। महसा अमिनी को देश के सख्त ड्रेस कोड का कथित रूप से उल्लंघन करने के बाद हिरासत में लिया गया था। आरोप है कि पुलिस हिरासत में अमिनी के साथ मारपीट की गई थी। इसके बाद तीन दिनों तक वह कोमा में रही थी। कहा गया कि 13 सितंबर को धार्मिक मामलों की पुलिस (morality police) ने हिजाब ठीक से न पहनने के मामले में गिरफ्तार किया था, जबकि अमिनी के घरवालों का कहना है कि वह हमेशा ड्रेस कोड का पालन करती थी।

हिजाब को लेकर क्या कहता है ईरान का कानून

1979 में इस्लामी क्रांति के बाद ही ईरान में महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियां बढ़ा दी गई थीं। कपड़े पहनने के लिए कानून बनाया गया। हिजाब पहनने को 1981 से अनिवार्य भी कर दिया गया। इसके बाद से करीब 10 साल से अधिक उम्र की लड़कियां और महिलाएं हिजाब से सिर ढकने के लिए मजबूर हैं। हिजाब और कपड़े पहनने से संबंधित किसी भी उल्लंघन पर 50,000 से 500,000 रियाल तक का जुर्माना के साथ 2 से 12 महीने तक के जेल का प्रवाधान है। अभी पढ़ें सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की पाकिस्तान यात्रा स्थगित, यह है वजह   कट्टरपंथी विचारों वाले इब्राहीम रईसी ईरान के 13वें राष्ट्रपति हैं। अगस्त 2021 में देश के राष्ट्रपति के तौर पर पद संभालने के बाद ड्रेस कोड लागू कराने को लेकर सख़्ती बढ़ी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, रईसी के पद संभालने के बाद से अब तक करीब 18 महिलाओं को फांसी दी जा चुकी है। अभी पढ़ें – दुनिया से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें

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