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Russia-Ukraine War: जिंदगी की ABC सीखने गए थे 3 भारतीय युवक, आबरू की फिक्र ने कलम छीन थमा दी बंदूक

Indians In Russia-Ukraine War, नई दिल्ली: जिंदगी भी बड़ी अजीब व्यवस्था होती है। यह कब किस हाथ से किताब छीनकर बंदूक थमा डाले, कुछ भरोसा नहीं। हालांकि इस बात में कोई दो राय नहीं कि मशहूर अंग्रेजी लेखक विलियम शेक्सपीयर की कविता ऑल द वर्ल्ड इज एक स्टेज की तरह हर आदमी अपनले जीवन में […]

Indians In Russia-Ukraine War, नई दिल्ली: जिंदगी भी बड़ी अजीब व्यवस्था होती है। यह कब किस हाथ से किताब छीनकर बंदूक थमा डाले, कुछ भरोसा नहीं। हालांकि इस बात में कोई दो राय नहीं कि मशहूर अंग्रेजी लेखक विलियम शेक्सपीयर की कविता ऑल द वर्ल्ड इज एक स्टेज की तरह हर आदमी अपनले जीवन में एक सिपाही समेत सात अलग-अलग भूमिकाएं निभाता है, लेकिन सोचने वाली बात है कि हर घटनाक्रम के पीछे वजह के रूप में एक कहानी भी जरूर होती है। इन दिनों भारतीय मूल के 3 युवक इसी स्थिति में हैं। वो विदेश की धरती पर (यूक्रेन) गए तो स्टूडेंट बनकर थे, मगर अब फौजी बनकर शक्तिशाली रूस के जुल्म के खिलाफ हथियार उठाए खड़े हैं। हजारों अपने-परायों के जान-माल की परवाह है, लेकिन अपनी जोखिम में डालकर। आइए इस दर्दभरी दास्तां को जरा तफसील से समझते हैं... बता दें कि वलादिमीर पुतिन की फौज के खिलाफ सीना तानकर खड़े यूक्रेनी सैनिकों में शामिल तीन भारतीय युवक रूस के कब्जे वाले बखमुत के आसपास के किसी मोर्चे पर डटे हैं। इनमें से एक मध्य प्रदेश का है तो दूसरा हरियाणा से।कोस्‍त्‍यन्तिनिव्‍का में द वीक से मुलाकात के दौरान मध्‍य प्रदेश मूल के यूक्रेनी सैनिक एंड्री (अपना चेहरा ढके हुए) ने बताया कि वह 2022 में यूक्रेन की सेना में शामिल हुए थे। इस दौरान ( हरियाणा मूल के उसके एक साथी नवीन की तरफ से दी जा रही जानकारी के आधार पर) वो दोनों छात्र के तौर पर यूक्रेन गए थे। बाद में उन्होंने यूक्रेनी महिलाओं के साथ शादी कर ली। जनवरी 2023 में सेना में शामिल हो गए।

हरियाणा के नवीन ने फ्रांसीसी, जर्मन और इजरायली सैन्य प्रशिक्षकों से ली 6 हफ्ते की ट्रेनिंग

खार्किव एविएशन इंस्टीट्यूट से पढ़ाई करने वाले नवीन सबसे पहले प्रादेशिक रक्षा बलों में शामिल हुए, जो यूक्रेन का सैन्य रिजर्व है। विदेशी होने के कारण नवीन को विशेष सत्यापन प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। अपनी फ्रंटलाइन पोस्टिंग से पहले उन्हें छह हफ्ते तक फ्रांसीसी, जर्मन और इजरायली सैन्य प्रशिक्षकों ने ट्रेनिंग दी। शुरुआत में उन्हें युद्ध का डर था, लेकिन उनके कमांडर एलेक्स ने उन्हें बुरी परिस्थितियों का सामना करने में मदद की। अब भी हर दिन नए सैनिक सेना में शामिल हो रहे हैं। नवीन और एंड्री ने यू्क्रेन की सेना की तारीफ करते हुए कहा कि उनके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता। जहां तक इस बदलाव के पीछे की वजह की बात है, 12 साल से यूक्रेन में रह रहे बाल-बच्चेदार एंड्री ने सवालिया लहजे में कहा कि अगर कोई आपके घर पर हमला करता है तो आप लड़ेंगे या तमाशा देखते रहेंगे? रूसी सैनिक यूक्रेनी लोगों को मार रहे हैं। वो ऐसी जगहों को भी निशाना बना रहे हैं, जहां सैनिक नहीं हैं। कई जगह रूसी सैनिकों ने महिलाओं के साथ उनके पतियों की मौजूदगी में बलात्कार किया। जानवर भी उनसे बेहतर हैं। ऐसे में दो ही रास्ते थे कि या तो लड़ मरें या फिर यूक्रेन छोड़ दें। उन्‍होंने बताया कि हालांकि युद्ध की शुरुआत में उन्हें यूक्रेन छोड़ने का विकल्‍प दिया गया था, लेकिन उन्‍होंने इनकार कर दिया। आत्मस्वाभिमान की इस लड़ाई में वो तीन से चार बार मरते-मरते बचे हैं।

भारत की कई चीजों को याद करते हैं जांबाज

इसके अलावा इन जांबाजों से जब मादर-ए-वतन की याद आने संबंधी सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि भारत की बहुत सारी चीजें उन्हें बहुत याद आती हैं। एंड्री को दक्षिण भारतीय खाना इडली और डोसा बेहद पसंद हैं। फिल्में देखने के शौकीन एंड्री दक्षिण भारतीय कलाकार एनटीआर जूनियर के प्रशंसक हैं। हालांकि नवीन फिल्मों के नहीं, बल्कि क्रिकेट के शौकीन हैं। उन्हें केवल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट देखना पसंद है।


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