India Russia Oil Imports: अमेरिकी कांग्रेस सदस्य ने बड़ा दावा किया है कि भारत पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव का असर दिख रहा है। भारतीय रिफाइनर कंपनियां रूस से तेल की खरीद कम करने के संकेत दे रही हैं, जिससे मास्को की युद्ध वित्तीय ताकत पर चोट पड़ सकती है। यह बयान कांग्रेस सदस्य ब्रायन फिट्जपैट्रिक ने भारत और पाकिस्तान दौरे के बाद दिया है।
अमेरिकी सांसद का बड़ा बयान
अमेरिकी कांग्रेस के सांसद ब्रायव फिट्डपैट्रिक एक खुफिया यात्रा पर थे, जिसमें वे भारत, पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर थे। उन्होंने कहा है कि भारतीय रिफानरियां निरंतर अमेरिका से मिल रहे दबाव के कारण रूसी तेल की खरीद को कम कर रहा है। साउथ एशिया में अपने 2 सप्ताह के मिशन को खत्म करने के बाद उन्होंने एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के अधिकारियों से भी बातचीत की थी।
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मुलाकात का मुद्दा क्या था?
फिट्जपैट्रिक के भारत में विदेश मंत्री और अधिकारियों से मुलाकात में उन्होंने भारत द्वार रूस से खरीदे जा रहे कच्चे तेल की खरीद पर वॉशिंगटन की चर्चा का व्यक्त किया था। दरअसल, इससे सीधा असर रूस और यूक्रेन की जंग पर पड़ेगा। कांग्रेसी सांसद का कहना है कि अमेरिकी दबाव के बाद भारत संकेत दे रहा है कि वे रूसी तेल के आयात को कम करेंगे।
अमेरिकी दुतावास का किया दौरा
ब्रायन फिट्ज़पैट्रिक और खुफिया समिती की सदस्य क्रिसी हौलहान भी बैठक में शामिल हुई थी, इसके बाद वे दिल्ली में स्थित अमेरिकी दुतावास भी गए थे। इसके अलावा, उन्होंने पाकिस्तान का भी दौरा किया था, जहां उन्होंने उच्च स्तरीय लोगों के साथ बैठक की और आतंकवाद विरोधी प्रयासों को बारे में जानकारी साक्षा करने और सुरक्षा पर चर्चा की थी।
भारत का दृष्टिकोण क्या है?
भारत हमेशा अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देता आया है। रूस से तेल आयात को लेकर भारत अपने राष्ट्रीय हितों का ध्यान रखता है। यूक्रेन युद्ध और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बावजूद, भारत ने रणनीतिक रूप से रूस से तेल आयात जारी रखा है ताकि घरेलू ऊर्जा आपूर्ति बाधित न हो और आर्थिक स्थिरता बनी रहे।
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