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भारत आने से पहले PM मोदी को बड़ा तोहफा दे सकते हैं पुतिन, रक्षा समझौते पर आज फाइनल होगी डील!

India Russia Defence Deal: भारत और रूस के बीच एक रक्षा समझौता आज फाइनल हो सकता है, जिससे दोनों देशों को एक दूसरे का लॉजिस्टिक सपोर्ट मिलेगा. समझौते पर आज रूस की संसद में मतदान हो सकता है, जिसके फैसले पर समझौते का फाइनल होना निर्भर करता है.

पुतिन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आ रहे हैं.

India Russia Defence Deal: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन 2 दिवसीय दौरे पर भारत आ रहे हैं, लेकिन भारत आने से पहले वे प्रधानमंत्री मोदी को बड़ा तोहफा दे सकते हैं. दरअसल, भारत और रूस के बीच एक डिफेंस डील रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक्स एग्रीमेंट (RELOS) प्रस्तावित है, जिस पर आज रूस की संसद के निचले सदन 'स्टेट डूमा' में मतदान हो सकता है. अगर मतदान एग्रीमेंट के पक्ष में हुआ तो दोनों देशों के बीच डील फाइनल हो जाएगी.

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क्या है रक्षा समझौता RELOS?

बता दें कि भारत-रूस के बीच प्रस्तावित समझौता RELOS द्विपक्षीय सैन्य लॉजिस्टिक डील है, जिससे देशों देशों की सेनाएं मजबूत होंगी. लॉजिस्टिक सपोर्ट, जॉइंट वार प्रैक्टिस और डिजास्टर मैनेजमेंट को लेकर सेनाओं के बीच तालमेल मजबूत होगा. दोनों देशों की सेनाओं के लिए सैन्य ठिकानों, बंदरगाहों और रक्षा सुविधाओं का इस्तेमाल करना संभव होगा. यह समझौता अमेरिका के साथ भारत के लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) से प्रेरित है.

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भारत दौरे पर आ रहे हैं पुतिन

बता दें कि रूस की संसद के निचले सदन स्टेट डूमा में भारत के साथ एक अहम रक्षा समझौते को प्राथमिकता के साथ पेश किया जाएगा, ताकि उस पर मतदान कराकर रूसी राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे से पहले उसे फाइनल किया जा सकते. रूस के राष्ट्रपति पुतिन 2 दिन की राजकीय यात्रा पर भारत आ रहे हैं. वे 4 और 5 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भारत-रूस शिखर सम्मेलन में शिरकत करेंगे और देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात करेंगे.

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2021 से प्रस्तावित है समझौता

बता दें कि रक्षा समझौता साल 2021 में प्रस्तावित हुआ था और रूस ने इसके ड्राफ्ट को मंजूर कर लिया था. 18 फरवरी 2025 को डील से जुड़े एक अहम डॉक्यूमेंट पर मॉस्को में साइन हुए थे, जहां भारतीय राजदूत विनय कुमार, रूस की तत्कालीन उप-रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन मौजूद थीं. इससे दोनों देशों की सेना, वायुसेना, नौसेना के बीच सहयोग और को-ऑर्डिनेशन मजबूत होगा. दोनों एक दूसरे को समय पर ईंधन, भोजन, मरम्मत, रखरखाव का सामान और अन्य उपलब्ध करा सकेंगी.


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