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ड्रैगन बुझा रहा मुइज्‍जू की प्यास! फिर मालदीव पहुंचाया तिब्‍बत के ग्लेशियर का 1500 टन पानी

Delhi Beijing Tension: चीन लगातार मालदीव पर डोरे डाल रहा है। ताजा मामला वाटर सप्लाई का है। चीन ने तिब्बती ग्लेशियर से अपने गुलाम दोस्त को 1500 टन पानी की खेप भेंट की है। दूसरी बार इस साल में ऐसा हुआ है, जब चीन की ओर से मालदीव को पानी की आपूर्ति की गई हो। इससे पहले भी पानी तिब्बत से भेजा गया था।

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्‍जू।
China Maldives Friendship: मालदीव में जब से चीनी समर्थक मोहम्मद मुइज्जू राष्ट्रपति बने हैं, तब से चीन लगातार उस पर डोरे डाल रहा है। अब तो पानी भी चीन सप्लाई करने लगा है। चीन ने हाल ही में मालदीव को 1500 टन पानी की सप्लाई भेजी है। माले में मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर को चीनी राजदूत वांग लिक्सिन ने ये शिपमेंट भेंट किया। इस पानी को चीनी कब्जे वाले तिब्बती ग्लेशियर से पहुंचाया गया है। मूसा जमीर ने बताया कि चीनी स्वायत्तशासी क्षेत्र से उनको पानी भेजा गया है। जिसके लिए वे आभार प्रकट करते हैं। उनका देश स्वच्छ पानी की कमी से जूझ रहा है। इस खेप से लोगों को काफी मदद मिलेगी। चीन की राजदूत वांग लिक्सिन ने जमीर के ट्वीट को शेयर करते हुए खुशी जाहिर की। उन्होंने लिखा कि 5100 मीटर ऊंचे ग्लेशियरों का प्रीमियम वाटर समुद्र और पहाड़ों के रास्ते माले पहुंचा। जिससे उनको काफी खुशी हुई। यह चीन और मालदीव की गहरी दोस्ती और तिब्बत के लोगों की महानता का प्रतीक है। यह भी पढ़ें:असिस्टेंट ने कर दी CEO की हत्या, 332 करोड़ की चोरी छिपाने और ब्रेकअप से बचने के लिए की वारदात भले ही अब चीन मालदीव की मदद कर रहा हो। लेकिन इससे पहले भारत कई बार संकट में उसको स्वच्छ पानी भेज चुका है। लेकिन कभी उपलब्धियों का बखान नहीं किया। मालदीव में अधिकतर द्वीप रेत और कोरफ के टीलों से बने हैं। जहां साफ और मीठा पानी नहीं मिलता। 2014 में मालदीव पर भीषण संकट आया था, तब भारत ने ऑपरेशन नीर लॉन्च कर उसकी मदद की थी। पानी की सप्लाई विमानों ने की थी। संकट के 12 घंटे के भीतर पहला विमान मालदीव पहुंच गया था। इसके बाद आईएनएस शुकल्या और दीपक ने हजारों टन पानी की आपूर्ति वहां की थी। 2004 में सुनामी और बाद में कोरोना काल में भारत ने मालदीव का दिल खोलकर साथ दिया था। लेकिन अब मालदीव चीन की गोद में जाकर बैठ गया है।

चीन पहले भी भेज चुका है पानी

पहले भी चीन ने मालदीव के लिए तिब्बत से 1500 टन पानी भेजा था। बताया जाता है कि इस पानी का यूज सिर्फ वहां के राष्ट्रपति ने किया। लोगों को कई दिन तक खेप के बारे में बताया ही नहीं गया। लेकिन जब अफवाहें फैलने लगीं, तो विदेश मंत्रालय ने लोगों को इसके बारे में जानकारी दी। सरकार ने भी सभी आरोपों को खारिज किया था।


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