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पाकिस्तान के बेलआउट पैकेज पर IMF की बैठक, भारत ने वोटिंग से किया किनारा, PAK के आतंकवादी चेहरे को किया बेनकाब

IMF meeting on Pakistan Bailout Package: भारत के साथ उलझ रहा पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर है। पाकिस्तान को गहरे आर्थिक संकट से निकालने के लिए शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की बैठक हो रही है। आईएमएफ के प्रबंधन का हिस्सा होने की वजह से इस बैठक में भारत ने भी हिस्सा लिया और पाकिस्तान की आतंकवादी चेहरे को बेनकाब करने की कोशिश की।

अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में आज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ा फैसला हुआ। पाकिस्तान के बेलआउट पैकेज को लेकर वॉशिंगटन में आज अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की बैठक हुई, जिसमें पाकिस्तान को कर्ज देने पर चर्चा की गई। आईएमएफ के प्रबंधन का हिस्सा होने की वजह से इस बैठक में भारत के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। इस बीच भारत ने बैठक में पाकिस्तान को मिलने वाले लोन का विरोध किया। साथ ही भारत ने आईएमएफ की बैठक में पाकिस्तान के बेलआउट पैकेज पर मतदान से किनारा कर लिया। हालांकि, भारत के विरोध के बावजूद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान के लिए 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लोन को मंजूरी दे दी। पहले के भारी कर्ज में डूबे पाकिस्तान को यह लोन मौजूदा एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी के तहत दिया गया है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने लोन देने के लिए आईएमएफ का आभार जताया है।

भारत ने पाकिस्तान के खराब रिकॉर्ड का किया उल्लेख

भारत ने पाकिस्तान में आईएमएफ कार्यक्रमों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाया और सुधारों को लागू करने के उसके खराब रिकॉर्ड और लगातार बेलआउट की ओर इशारा किया, जो स्थायी आर्थिक स्थिरता बनाने में विफल रहे हैं। भारत ने कहा है कि आईएमएफ फंड का दुरुपयोग पाकिस्तान द्वारा राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद के लिए किया जा सकता है। साथ ही भारत ने वित्तीय प्रवाह से जुड़े जोखिमों की चेतावनी भी दी। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ओर से पाकिस्तान को प्रस्तावित 1.3 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज पर मतदान से किनारा कर लिया है।

'आतंकी संगठनों को मिल रहा IMF का पैसा'

भारत की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि 2021 की संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट में सैन्य-संबंधी व्यवसायों को पाकिस्तान में सबसे बड़ा समूह बताया गया है। भारत ने यह भी दोहराया कि पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता अप्रत्यक्ष रूप से उसकी खुफिया एजेंसियों और आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद की मदद करती है, जो भारत पर हमलों को अंजाम देते रहे हैं। 9 मई को वाशिंगटन में हुई IMF बोर्ड बैठक में भारत ने पाकिस्तान की ओर से बार-बार IMF की सहायता शर्तों को पूरा न करने को लेकर चिंता जताई। भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तानी सेना देश के आर्थिक मामलों में गहरी भूमिका निभाती है और ऐसे में आर्थिक सुधारों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। पाकिस्तान में सेना की कंपनियां देश की सबसे बड़ी व्यावसायिक इकाइयों में गिनी जाती हैं और आज भी सेना ही निवेश से जुड़े फैसलों में प्रमुख भूमिका निभा रही है।

'पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत ही खराब'

बयान के मुताबिक, भारत ने आईएमएफ को यह भी बताया कि पाकिस्तान पिछले 35 वर्षों में 28 बार आईएमएफ से मदद ले चुका है। उसका ट्रैक रिकॉर्ड बहुत ही खराब है। अगर पहले दिए गए कर्ज का सही उपयोग हुआ होता, तो पाकिस्तान को बार-बार मदद की जरूरत नहीं पड़ती। भारत ने आईएमएफ की ही एक मूल्यांकन रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि पाकिस्तान को मिलने वाली मदद पर राजनीतिक प्रभाव रहता है और यह आईएमएफ की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है।

क्या है IMF में निर्णय लेने की प्रक्रिया?

  • भारत सरकार के सूत्रों के मुताबिक, IMF की कार्यकारी बोर्ड में 25 निदेशक होते हैं, जो सदस्य देशों या देशों के समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह बोर्ड रोजमर्रा के कार्यों और ऋण स्वीकृति जैसे मामलों को संभालता है।
  • संयुक्त राष्ट्र के विपरीत, जहां प्रत्येक देश को एक मत मिलता है, IMF में मतदान शक्ति सदस्य देश की आर्थिक हैसियत के आधार पर तय होती है। उदाहरण के लिए अमेरिका जैसे देशों के पास अत्यधिक अधिक मतदान शक्ति होती है। इसी कारण IMF आमतौर पर सर्वसम्मति (Consensus) से निर्णय लेता है।
  •  जब मतदान की आवश्यकता होती है, तब भी IMF प्रणाली किसी प्रस्ताव के खिलाफ औपचारिक 'ना' वोट देने की अनुमति नहीं देती। निदेशक या तो समर्थन में मतदान कर सकते हैं या फिर अनुपस्थित रह सकते हैं। 'विरोध' का विकल्प नहीं होता।

भारत ने मतदान से दूरी क्यों बनाई?

  • हाल ही में पाकिस्तान को ऋण मंजूरी देने के संबंध में हुए IMF मतदान से भारत ने भाग नहीं लिया। इसका कारण यह नहीं था कि भारत का विरोध कमजोर था बल्कि इसलिए, क्योंकि IMF नियमों के अनुसार औपचारिक 'ना' कहना संभव नहीं है।
  • मतदान से अनुपस्थित रहकर भारत ने IMF की प्रणाली के दायरे में रहते हुए अपना विरोध स्पष्ट रूप से दर्ज कराया और अपनी आपत्तियों को औपचारिक रूप से दर्ज किया।

भारत की क्या थीं प्रमुख आपत्तियां?

  • भारत ने IMF सहायता की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए, यह बताते हुए कि पाकिस्तान ने पिछले 35 वर्षों में 28 बार IMF सहायता प्राप्त की है, जिसमें पिछले 5 वर्षों में ही 4 कार्यक्रम शामिल हैं, लेकिन कोई ठोस और स्थायी सुधार नहीं हुआ।
  • भारत ने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान में सैन्य तंत्र का आर्थिक मामलों में हावी होना पारदर्शिता, नागरिक नियंत्रण और टिकाऊ सुधारों को बाधित करता है।
  • भारत ने सख्ती से आपत्ति जताई कि सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देश को वित्तीय सहायता देना वैश्विक संस्थाओं की साख को खतरे में डालता है और अंतरराष्ट्रीय मूल्यों को कमजोर करता है।


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