Saleh al-Arouri dead: इजराइल और हमास के बीच सात अक्टूबर से जंग जारी है। इजराइली सेना लगातार ड्रोन से गाजा पट्टी पर हमला कर रही है। इसी दौरान उसे मंगलवार रात को बड़ी कामयाबी मिली, जब लेबनान की राजधानी बेरूत में एक ड्रोन हमले में हमास का डिप्टी लीडर सालेह अल-अरुरी मारा गया। इस हमले में उसके साथ छह अन्य लोग भी मारे गए। हालांकि, इजराइल ने उसके मौत की जिम्मेदारी नहीं ली है।
हमास का वरिष्ठ नेता था अल-अरुरी
बताया जाता है कि सालेह अल-अरुरीहमास के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक था। उसने राजनीतिक और सैन्य, दोनों मोर्चों पर हमास का नेतृत्व किया। उसने हमास की सैन्य शाखा इज अल-दीन अल-कसम ब्रिगेड की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सालेह अल-अरुरी को अमेरिका ने घोषित किया आतंकी
सालेह अल-अरुरी को अमेरिका ने वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था। उस पर 40 करोड़ रुपये का ईनाम था। इजराइल और हमास के बीच युद्ध शुरू होने के बाद उसने आतंकी समूह के प्रवक्ता की भूमिका निभाई।
इजराइल की जेल में बिताए 15 साल
अल-अरुरी लेबनान में निर्वासन में रह रहा था। उसने 15 साल इजराइल की जेल में बिताए। उसी की बदौलत 2011 में इजराइल ने अपने सैनिक गिलाद शालित की रिहाई के बदले में 1000 से अधिक फिलिस्तानी कैदियों कों रिहा किया।
इजराइल की हिट लिस्ट में था अल-अरुरी
सालेह अल-अरूरी लंबे समय से इजराइल की हिट लिस्ट में था। उसे ईरानी सरकार और लेबनान में ईरान समर्थित हिजबुल्लाह के साथ करीबी संबंधों के लिए जाना जाता है। वह 2014 में तब सुर्खियों में आया, जब उसने तुर्किए में कहा कि वेस्ट बैंक बस्ती से तीन इजराइली किशोरों के अपहरण और हत्या के लिए हमास जिम्मेदार है।
इजराइल पर हमले में अल-अरुरी ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
इजराइल और अमेरिका का मानना था कि अल-अरुरी ने ही हमास के आतंकियों को ट्रेनिंग देने और इजराइल पर हमला करने के लिए पैसे मुहैया कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस हमले में 1100 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, जबकि 250 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया गया। हालांकि, सीजफायर के दौरान 110 नागरिकों को रिहा कर दिया गया था।
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