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एलन मस्क का एलियंस को लेकर बड़ा दावा, इंटरस्टेलर धूमकेतु 3I एटलस धरती से टकराया तो क्या होगा?

Interstellar Comet 3I Atlas: अंतरिक्ष में घूम रहे इंटरस्टेलर धूमकेतु 3I एटलस के बारे में एलन मस्क ने बड़ा दावा किया है और कहा है कि अगर एलियंस हुए तो सबसे पहले वे इस बारे में दुनिया को बताएंगे. उन्होंने बताया कि अगर वह रहस्यमयी चीज धरती से टकराएगी तो क्या होगा?

अंतरिक्ष में घूम रही चीज दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस एजेंसी नासा के लिए भी रहस्य है.

Interstellar Comet 3I Atlas: अंतरिक्ष में आजकल बेहद अनोखी और रहस्यमयी चीज बहुत ज्यादा तेज स्पीड से घूम रही है, जिसे देखकर वैज्ञानिक हैरान हैं और इसे दूसरी दुनिया से आए एलियंस का शिप कह रहे हैं. इस चीज को इंटरस्टेलर कॉमेट 3i एटलस नाम दिया गया है, जिसे पहली बार जुलाई 2025 में देखा गया था और 29 अक्टूबर 2025 को यह सूर्य के पास से गुजरा, जहां सूरज की रोशनी पड़ते ही इसका रंग भी बदल गया. इस घटना ने भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को चौंकाया, वहीं अब यह चीज धरती की ओर बढ़ रही है और डर है कि कहीं यह धरती से टकरा न जाए.

एलन मस्क ने किया एलियंस पर दावा

स्पेस की दुनिया में सबसे ज्यादा एक्टिव कंपनी स्पेसएक्स के CEO एलन मस्क ने एक पॉडकास्ट में इंटरस्टेलर कॉमेट 3i एटलस और एलियंस को लेकर पूछे गए सवालों केा जवाब दिया. एलन मस्क ने कि एलियंस नहीं, अगर ऐसा होगा तो सबसे पहले मैं दुनिया को उनके बारे में बताऊंगा और यह वादा करता हूं कि एलियंस को दुनिया से मैं ही रूबरू कराऊंगा. एक और वादा करता हूं कि मैं कभी सुसाइड नहीं करुंगा, वरना दुनिया कहेगी कि एलन मस्क को एलियंस के बारे में बताने से रोका गया. 3i एटलस अगर कोई जहाज हुआ और धरती से टकराया तो एक पूरा महाद्वीप गायब हो जाएगा.

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क्या है इंटरस्टेलर धूमकेतु 3I एटलस?

इंटरस्टेलर धूमकेतु 3I एटलस को C/2025 N1 (एटलस) भी कहते हैं, जो सौरमंडल में अचानक आया. 1I/Oumuamua (2017) और 2I/Borisov (2019) के बाद यह तीसरा धूमकेतु है, जिसे अंतरिक्ष में देखा गया. 1 जुलाई 2025 को चिली के रियो हर्टाडो में स्थित ATLAS (एस्ट्रॉयड टेरेस्ट्रियल इम्पैक्ट लास्ट अलर्ट सिस्टम) नामक टेलीस्कोप से इसे देखा गया. टेलीस्कोप के नाम पर ही इसका नाम एटलस रखा गया और 3I का मतलब तीसरा इंटरस्टेलर है. 2 जुलाई 2025 को आधिकारिक रूप से अंतरिक्ष में इसके होने की घोषणा की गई.

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29 अक्टूबर को सूर्य के पास से गुजरा

जब एटलस को पहली बार देखा गया तो यह बृहस्पति ग्रह के पास था. इसके चारों तरफ गैस और धूल का गुबार है. अंतरिक्ष में घूमते हुए एटलस 29 अक्टूबर को सूर्य के बेहद पास से गुजरा. सूर्य से इसकी दूरी 21 करोड़ किलोमीटर थी और 30 अक्टूबर को यह मंगल की कक्षा के अंदर आया. 19 दिसंबर को एटलस धरती से 27 करोड़ किलोमीटर दूर होगा, लेकिन इसके धरती से टकराने की संभावना नहीं है. एटलस की स्पीड 58 किलोमीटर प्रति सेकंड और नवंबर के आखिर में यह सौरमंडल से बाहर निकलकर अपनी दुनिया में गायब हो जाएगा.

बर्फ से बना और धूल-गैस का गुबार

एटलस की उम्र 3 से 11 अरब वर्ष हो सकती है, जो सौरमंडल की उम्र से कहीं ज्यादा है. एटलस ठोस बर्फ से बना है और इसके चारों ओर धूल के साथ गैस का गुबार है. इसकी परत 50 से 65 फीट मोटी और गहरी है. CO2, पानी, CO, कार्बोनिल सल्फाइड और बर्फ से बने एटलस से निकेल वाष्प निकल रही है. इसकी बाहरी परत लाल रंग की है, लेकिन सूर्य के पास से गुजरने पर इसका रंग नीला हो गया था. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एवी लोएब ने नासा पर एटलस के बारे में अहम जानकारियां छिपाने का आरोप लगाया है.


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