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वैज्ञानिकों ने सुलझा ली Egypt के Pyramids के पीछे की सबसे बड़ी Mystery!

Secrets Of Egypt's Pyramids : मिस्र में रहस्यमयी पिरामिड्स को लेकर रिसर्च कर रही वैज्ञानिकों की एक टीम ने ऐसी खोज की है जो इस सवाल का जवाब दे सकती है कि आखिर इतने बड़े पिरामिड्स का निर्माण हजारों साल पहले इंसानों ने किस तरह किया होगा। बता दें कि पिरामिड्स के निर्माण को लेकर तरह-तरह की थ्योरीज हैं जिनमें एलियंस के दखल तक की बात भी शामिल है। हालांकि, यह नई खोज इन सब थ्योरीज पर फुल स्टॉप लगा सकती है।

Edited By : Gaurav Pandey | Updated: Jul 9, 2024 17:45
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Representative Image (Pixabay)

Mystery Behind Egypt’s Pyramids : सहारा रेगिस्तान में स्थित इजिप्ट यानी मिस्र के पिरामिड हमेशा से आधुनिक सभ्यता के लिए हैरानी का कारण बने रहे हैं। शुष्क और चट्टानी पठार पर स्थित इन पिरामिड की भौगोलिक स्थिति आर्कियोलॉजिस्ट्स को परेशान करती रही है। दरअसल, ये पिरामिड बेहद एकांत में हैं और अभी तक माना जाता रहा है कि इनके आस-पास पानी के स्रोत नहीं हैं। ऐसे में यह मिस्ट्री नहीं सुलझ पा रही थी कि करीब 4700 साल पहले इजिप्ट के लोगों ने किस तरह से पिरामिड बनाने के लिए इतने बड़े-बड़े पत्थरों का ट्रांसपोर्ट किस तरह किया होगा। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस रहस्य को सुलझा लिया है। कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरन्मेंट नामक जर्नल में इसे लेकर एक स्टडी पब्लिश हुई है जो पिरामिड्स के सबसे बड़े रहस्य से पर्दा उठाती है।

इस नई स्टडी में पता चला है कि एक समय में इन पिरामिड्स के पास एक नदी बहा करती थी जो आगे जाकर नील नदी में मिल जाती थी। यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना विल्मिंग्टन में स्पेस एंड ड्रोन रिमोट सेंसिंग लैब की डायरेक्टर व प्रोफेसर एमान घोनाइम ने इस स्टडी की शुरुआत की थी। इजिप्ट में जन्मीं और पली-बढ़ी एमान यह जानने के लिए उत्सुक थे कि पिरामिड्स का निर्माण उसी जगह पर क्यों किया गया। इसका कारण जानने के लिए रिसर्च में फंडिंग के लिए उन्होंने नेशनल साइंस फाउंडेशन में अप्लाई किया था। रिसर्च में जिस नदी का पता चला है उसकी पुष्टि जमीन के नीचे देख सकने वाले रडार और इलेट्रोमैग्नेटिक टोमोग्राफी के जरिए की गई है। इस जांच में यह भी स्पष्ट हो गया है कि पिरामिड्स के पास से अब विलुप्त हो चुकी यह नदी, नील नदी की सहयोगी थी।

इस तरह पूरी हुई रिसर्च

एमान घोनाइम की अगुवाई वाली रिसर्चर्स की एक टीम ने इजिप्ट में 54 किलोमीटर लंबी, सूख चुकी नील नदी की एक ब्रांच मैप की जो खेतों और रेगिस्तान के नीचे दफन है। मैपिंग के लिए उन्होंने सैटेलाइट इमेजरी, ऐतिहासिक नक्शों, ज्योग्राफिकल सर्वे का इस्तेमाल किया। ड्रिलिंग उपकरणों की सहायता से उन्होंने दो लंबे कोर निकाले। इन कोर से लगभग 25 मीटर की गहराई पर और करीब आधे किलोमीटर की चौड़ाई पर जलमार्ग के अनुसार रेतीली तलछट के पारे में मालूम पड़ा। टीम ने नील नदी की इस विलुप्त हो चुकी ब्रांच को Ahramat नाम दिया है। यह एक अरबी शब्द है जिसका अंग्रेजी में मतलब पिरामिड होता है। इस नदी के किनारे पर करीब 31 पिरामिड स्थित थे। माना जा रहा है कि उस समय में यह नदी जलमार्ग से ट्रांसपोर्ट का एक अहम साधन रही होगी।

बड़े रहस्य से उठा पर्दा

टीम का कहना है कि यह खोज बताती है कि संभवत: प्राचीन इजिप्ट के लोग इस नदी का इस्तेमाल उन बड़े-बड़े पत्थरों को यहां लाने के लिए करते होंगे जिनसे पिरामिड्स का निर्माण किया गया। नदी की मैपिंग बताती है कि एक ऐसा वाटरवे था जिसका इस्तेमाल भारी और बड़े पत्थरों, उपकरणों, कामगारों और पिरामिड बनाने के लिए जरूरी अन्य सामग्रियों को लाने-ले जाने में किया जा सकता था। यह सब इस बात को समझाने में काफी मददगार साबित हो सकता है कि पिरामिड्स का निर्माण आखिर किस तरह से किया गया होगा। स्टडी में यह संभावना भी जताई गई है कि अभी भी अनगिनत संरचनाएं इस नदी के किनारों पर खेतों और रेगिस्तान में दफन हो सकती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि नील नदी की यह महत्वपूर्ण ब्रांच सूखा, धूल भरे तूफान की वजह से सूख गई होगी।

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First published on: Jul 09, 2024 05:45 PM

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