Trump Warns Jinping For Taiwan: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग को कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया तो उसके इसके परिणाम भुगतने होंगे. उम्मीद है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग स्थिति को बहुत अच्छी तरह समझते हैं. राष्ट्रपति ट्रंप ने साउथ कोरिया के बुसान में राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ मीटिंग के बाद दिए एक साक्षात्कार में यह बात कही.
अमेरिकी युद्ध सचिव भी मुद्दे पर जता चुके चिंता
बता दें कि अमेरिका के युद्ध सचिव पीट हेगसेथ ने भी चीन और ताइवान संघर्ष पर चिंता व्यक्त की थी. 31 अक्टूबर को वे मलेशिया में चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून से मिले थे. इस दौरान दोनों के बीच ताइवान और दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता पर चर्चा की और चिंता जताई. यह बैठक दक्षिण पूर्व एशियाई रक्षा प्रमुखों के शिखर सम्मेलन में ट्रंप और जिनपिंग की मुलाकात के अगले दिन हुई. चीन के रक्षामंत्री से मुलाकात के बाद हेगसेथ ने X हैंडल पर ट्वीट करके कहा था कि हिंद और प्रशांत महासागर में शक्ति संतुलन बनाए रखने की जरूरत है. अमेरिका टकराव नहीं चाहता है.
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सेना को आक्रमण के लिए तैयार रहने का आदेश
पिछले कुछ वर्षों में चीन ने ताइवान के खिलाफ अपनी रणनीति को मजबूत किया है और ताइवान की सीमा के पास लगातार सैन्य अभ्यास कर रहा है. ताइवान के हवाई क्षेत्र में लगातार अपने युद्धक विमान भेज रहा है. अमेरिका की खुफिया एजेंसी के अनुसार, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीन की सेना को साल 2027 तक ताइवान पर आक्रमण के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है. दरअसल, चीन और ताइवान के बीच 1949 से ही विवाद चल रहा है. चीन ने ताइवान को अपना हिस्सा बताते हुए कब्जा करने की कोशिश की, लेकिन ताइवान ने खुद को स्वतंत्र राष्ट्र बताते हुए चीन की सत्ता स्वीकार करने से इनकार कर दिया.
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सदियों पुराना है चीन और ताइवान का संबंध
बता दें कि 1895 में चीन और जापान के बीच युद्ध हुआ तो चीन हार गया और उसने ताइवान का कंट्रोल जापान को दे दिया. 1945 में जब दूसरा विश्व युद्ध खत्म हुआ तो जापान हार गया और ताइवान पर रिपब्लिक ऑफ चाइना की राष्ट्रवादी सरकार का कंट्रोल हो गया. 1927 से 1949 तक जब चीन में कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) और राष्ट्रवादी पार्टी (KMT) के बीच गृहयुद्ध चला तो कम्युनिस्ट पार्टी ने ताइवान पर कब्जा कर लिया, परिणाम स्वरूप राष्ट्रवादी सरकार को ताइवान से पलायन करना पड़ा.
1949 में राष्ट्रवादी पार्टी के नेता चियांग काई शेक हार गए और करीब 15 लाख समर्थकों के साथ ताइवान भाग गए, जहां उन्होंने रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार बनाई, तब से चीन ताइवान पर कब्जा करने की कोशिश में है. 1949 में ही पीपुल्स ऑफर रिपब्लिक चाइना ने सरकार बनाने का ऐलान कर दिया और ताइवान को विद्रोह प्रांत करार दे दिया. तब से पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना और राष्ट्रवादी पार्टी के बीच विवाद है, क्योंकि चीन को ताइवान चाहिए और ताइवान आजाद रहना चाहता है.