Trendingipl auctionPollutionparliament

---विज्ञापन---

कभी तारीफ तो कभी खिंचाई…, ईरान पर ट्रंप की नीति समझ नहीं आई, नोबेल पीस प्राइस से जुड़ा है पूरा मामला

Trump Nobel Peace Prize: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों खुद ही अपनी फजीहत कराने में जुटे हैं। उनके दावों की पोल उनका मीडिया खोलने में जुटा है। सीएनएन की रिपोर्ट का खंडन करते-करते वे थक गए हैं। कुल मिलाकर उनका पूरा ध्यान नोबेल पीस प्राइस पर टिका है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Pic Credit-X)
Donald Trump Iran policy: ईरान और इजराइल के बीच 12 दिन तक चले संघर्ष के बाद अब सीजफायर हो चुका है। दोनों देशों के बीच सीजफायर कराने में अमेरिका ने अहम रोल निभाया है। अमेरिका ने ईरान के परमाणु संयंत्रों को तबाह कर दिया है। सीजफायर के बाद नाटो समिट में पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ईरान को इस युद्ध के कारण काफी नुकसान हुआ है ऐसे में उसे तेल के निर्यात बढ़ाने में ढील दी जा सकती है। ट्रंप का ये बयान उन लोगों के लिए काफी हैरानी भरा था जो उन्हें ईरान का कट्टर आलोचक समझते हैं।

चीन के खिलाफ दिए नरमी के संकेत

नाटो समिट के बाद प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा कि ईरान को पुनिनिर्माण के लिए काफी पैसों की जरूरत है। इसे वे तेल बेचकर दूर कर सकते हैं। चीन अगर ईरान से तेल खरीदता है तो इससे उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी। अगर चीन ईरान से तेल खरीदता है तो उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी। हालांकि इस दौरान उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि ईरान पर प्रतिबंध नहीं रहेंगे। उन पर प्रतिबंध रहेंगे लेकिन प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी।

ईरान की तारीफ भी की

हेग पहुंचे ट्रंप ने आगे कहा कि ईरान ने काफी बहादुरी से जंग लड़ी है। वे तेल के कारोबारी हैं। मैं चाहूं तो खुद चीन का तेल बेच सकता हूं। वे बेचना चाहे तो बेच सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो ट्रंप की टिप्पणी ईरान के लिए तो राहत की बात है ही। इसके साथ-साथ चीन को भी संकेत है कि उसके साथ भी अमेरिका व्यापार को लेकर बातचीत करना चाहता है। ये भी पढ़ेंः क्या ईरान का परमाणु हथियार बनाने का सपना टूट गया, इजरायल से सीजफायर के बाद अब आगे क्या?

खुफिया रिपोर्ट लीक होने से खुली पोल

बता दें कि जब से ट्रंप ने ईरान के परमाणु ठिकाने नष्ट करने का दावा किया है तब से दुनिया उसके सबूत मांग रही है। जोकि अमेरिकी राष्ट्रपति की परेशानी बढ़ा रही है। इसके बाद आग में घी डालने का काम किया सीएनएन की रिपोर्ट ने। सीएनएन की खुफिया रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी हमलों से ईरान के परमाणु केंद्रों को इतना नुकसान नहीं पहुंचा। इसके बाद से ही ट्रंप झल्लाए हुए हैं।

ट्रंप को चाहिए नोबेल पीस प्राइस

नाटो समिट के दौरान उन्होंने बौखलाहट में एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की बात दोहराई। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस साल उन्हें नोबेल पीस प्राइस चाहिए। वे अमेरिकी इतिहास के पांचवे ऐसे प्रेसीडेंट बनना चाहते हैं जिन्हें शांति का नोबेल पीस प्राइज मिले। ये भी पढ़ेंः बड़बोले ट्रंप ने ईरान हमले की तुलना नागाशाकी-हिरोशिमा से क्यों की? समझ के परे अमेरिकी राष्ट्रपति का नया लॉजिक


Topics:

---विज्ञापन---