Bangladesh Muhammad Yunus UN Speech: बांग्लादेश के अंतरिम मुख्य सलाहकार नोबल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने यूनाइटेड नेशन्स जनरल असेंबली (UNGA) के भारत के खिलाफ जहर उगला. उन्होंने शेख हसीना को लेकर भारत पर आरोप लगाए. साथ ही अपनी स्पीच में उन्होंने गाजा नरसंहार और रोहिंग्या संकट को लेकर दुनियाभर को चेतावनी भी दी. वहीं प्रधानमंत्री युनूस ने विरोध प्रदर्शनों के बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया, क्योंकि UNGA के बाहर उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन हुआ.
शेख हसीना को लेकर आरोप लगाए
बांग्लादेश के अंतरिम मुख्य सलाहकार मुहम्मद युनूस ने भारत पर शेख हसीना को पनाह देने का आरोप लगाया और कहा कि शेख हसीना के कारण ही भारत और बांग्लादेश के संबंध खराब हुए हैं. दोनों देशों में तनाव पैदा हुआ है. जब से शेख हसीना की सरकार गिरी और वे बांग्लादेश छोड़कर गईं, तब से वे भारत में रही हैं, इसका क्या मतलब है? भारत शेख हसीना को बांग्लादेश को सौंप दे, उनके कारण बांग्लादेश को भारत से समस्या है और जब तक वे भारत में रहेंगी, समस्या रहेगी. शेख हसीना बांग्लादेश की आरोपी हैं और उन्हें वापस लाया जाएगा.
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मुहम्मद युनूस पर फेंके गए अंडे
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की महासभा की 80वीं बैठक में आए बांग्लादेश के अंतरिम मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ. Gen-Z प्रदर्शन, हिंसा और आगजनी के बाद शेख हसीना की सरकार के पतनके बाद इंटरनेशनल लेवल पर उन्होंने दूसरी बार स्पीच दी, लेकिन उनका खूब विरोध हुआ. एयरपोर्ट के बाहर भी शेख हसीना के समर्थक जुटे और उन्होंने अंडे फेंकते हुए मुहम्मद युनूस का विरोध किया. यूनुस की वैधता पर सवाल उठाए. बांग्लादेश में मानवाधिकारों और अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर भी चिंता व्यक्त की.
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गाजा और रोहिंग्या संकट पर बोले
बता दें कि मुहम्मद युनूस के आलोचक उन्हें अल्पसंख्यकों और खासकर हिंदुओं का विरोधी मानते हैं. जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी इस्लामी समूहों से उन्हें जोड़ते हैं. वहीं मुहम्मद युनूस ने गाजा में नरसंहार पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के बयानों से बांग्लादेश को जोड़ा और कहा कि दुर्भाग्य है, कोई भी गाजा में हो रहे नरसंहार को रोक नहीं पा रहा है. अगर नरसंहार जारी रहा तो न आने वाली पीढ़ियां और न ही इतिहास हमें माफ करेगा. उन्होंने म्यांमार में चल रहे रोहिंग्याओं के उत्पीड़न पर भी चिंता जताई और कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहायता कम हो रही है, जिससे भुखमरी, कुपोषण और हताशा बढ़ सकती है. कहीं गाजा जैसे हालात न बन जाएं.