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असीम मुनीर का ख्वाब पूरा, शहबाज सरकार ने बनाया पाकिस्तान का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज

पाकिस्तान के प्रेसिडेंट आसिफ अली जरदारी ने फील्ड मार्शल सैयद असीम मुनीर को पांच साल के लिए देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) बनाने की मंजूरी दे दी है.

पाकिस्तान के प्रेसिडेंट आसिफ अली जरदारी ने फील्ड मार्शल सैयद असीम मुनीर को पांच साल के लिए देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) बनाने की मंजूरी दे दी है.

पाकिस्तान के प्रेसिडेंट ऑफिस ने एक X पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS) और चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) दोनों के लिए मुनीर के नाम की सिफारिश को मंजूरी दे दी गई है.

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पाकिस्तान के राष्ट्रपति के ऑफिशियल X हैंडल ने एक पोस्ट में कहा, 'राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने फील्ड मार्शल सैयद असीम मुनीर को 5 साल के लिए CDF के साथ-साथ COAS के तौर पर अपॉइंट करने की मंजूरी दे दी है.'

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यह प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की मुनीर को ज़्यादा पावर देने की इच्छा को लेकर बहुत सारे अंदाजों के बाद आया है, क्योंकि शरीफ़ सरकार को 29 नवंबर को देश के पहले चीफ ऑफ डिफेस फोर्सेज के अपॉइंटमेंट को नोटिफाई करना था, जिस दिन आर्मी चीफ़ के तौर पर मुनीर का ओरिजिनल तीन साल का टर्म खत्म हुआ था.

COAS और CSF दोनों की जिम्मेदारी

राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सिफारिश को मंजूरी दे दी है. राष्ट्रपति भवन से जारी अधिसूचना के अनुसार, जनरल सैयद आसिम मुनीर को अगले पांच साल के लिए पाकिस्तान आर्मी के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS) के साथ-साथ नवगठित पद चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस (CDF) पर भी नियुक्त किया गया है. यह नियुक्ति हाल ही में पारित 27वें संवैधानिक संशोधन के तहत हुई है, जिसने पाकिस्तान की सशस्त्र सेनाओं के ढांचे में ऐतिहासिक बदलाव किया है. अब थल सेना, वायु सेना और नौसेना तीनों का एकीकृत कमांड एक ही व्यक्ति यानी CDF के पास होगा, और इस पहली बार यह जिम्मेदारी आर्मी चीफ के पास ही रहेगी.

इस तरह जनरल आसिम मुनीर पाकिस्तान के पहले सैन्य अधिकारी बन गए हैं, जिनके पास एक साथ COAS और CDF दोनों पदों की कमान होगी.

यह भी पढ़ें- Pakistan: इन सब के लिए वही जिम्मेदार…, इमरान खान ने आसिम मुनीर पर लगाया बड़ा आरोप

तो दोनों के बीच हुई डील?

इस नियुक्ति का रास्ता बिल्कुल सीधा और सरल नहीं रहा. पिछले कई हफ्तों से इस्लामाबाद की सत्ता गलियारों में खामोशी भी थी और भारी दबाव भी. जो खबरें अंदर से आ रही हैं, उनके मुताबिक समरी पर दस्तखत में हुई असामान्य देरी कोई तकनीकी अड़चन नहीं थी, बल्कि यह रावलपिंडी और सिविल लीडरशिप के बीच चल रही गहरी खींचतान का सबूत थी. कहा जा रहा है कि आर्मी चीफ की एक्सटेंशन और CDF का नया पद हासिल करने के बदले जनरल आसिम मुनीर और जीएचक्यू की तरफ से कुछ बड़ी राजनीतिक रियायतें दी गई हैं. दूसरी ओर, पीएमएल-एन के कुनबे—नवाज शरीफ, मरियम नवाज और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी अपनी कुछ अहम शर्तें मनवाईं.


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