G-20 समिट से पहले चीन ने दिया नए विवाद को जन्म; अरुणाचल प्रदेश समेत भारत के ये इलाके दिखाए अपने नक्शे में
China New Standard Map
China New Map Controversy, नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में होने जा रही G-20 समिट से कुछ ही दिन पहले चीन ने एक बार फिर भारत की टेंशन बढ़ा दी है। इस बात में कोई दो राय नहीं कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। हमारी सरकार की तरफ से इसे जुदा नहीं होने का दावा भी बार-बार पेश किया जाता रहा है, लेकिन इसी बीच सोमवार को चीन ने ‘मानक मानचित्र’ का 2023 एडिशन जारी कर डाला। इसमें चीन ने अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन, ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को कम्युनिस्ट देश का हिस्सा दिखाने की कोशिश की है।
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9 से 10 सितंबर तक दिल्ली के प्रगति मैदान में हो रहे G-20 सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी लेंगे हिस्सा
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सम्मेलन से पहले चीन की नेचुरल रिसोर्स मिनिस्ट्री ने झेजियांग प्रांत के डेकिंग काउंटी में जारी किया नया नक्शा
गौरतलब है कि दिल्ली के प्रगति मैदान में 9 से 10 सितंबर तक G-20 सम्मेलन आयोजित हो रहा है। इसमें दुनियाभर के देशों के राष्ट्रपति, प्रधानंत्री और सीनियर डिपलोमेट्स शामिल होंगे। 8 सितंबर को ही सभी राष्ट्राध्यक्ष और उनके प्रतिनिधि कड़ी सुरक्षा में दिल्ली पहुंच जाएंगे। इनके स्वागत में मेजबान भारत कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता, वहीं इसी बीच एक मेहमान ने आने से पहले ही मेजबान को नाराज कर दिया। वो मेहमान है पड़ोसी चीन का नेतृत्व। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने आ रहे हैं। एक ओर ब्रिक्स समिट में जिनपिंग हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने हो चुके हैं, वहीं अब एक नया विवाद पैदा हो गया है।
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जहां तक इस विवाद की वजह की बात है, चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' चीन का नया स्टैंडर्ड मैप शेयर किया है। नए मैप में चीन ने भारत के दक्षिण पूर्व के कई हिस्सों पर हक जताया है। भारत के अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन के अलावा इसमें ताइवान और दक्षिण चीन सागर समेत कई विवादित इलाके शामिल हैं। उधर, चाइना डेली की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह नक्शा चीन के नेचुरल रिसोर्स मिनिस्ट्री की तरफ से झेजियांग प्रांत के डेकिंग काउंटी में जारी किया गया है।
पहली बार नहीं की है चालबाज चीन ने ऐसी हरकत
- उधर, एक बात और उल्लेखनीय है कि चालबाज चीन ने भारत के इलाके पर कब्जा जमाने और दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचने की ऐसी चाल पहली बार नहीं चली है। इस देश की सत्ता की तरफ से ऐसी कोशिशें लगातार सामने आती रहती हैं। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से चीन हमेशा से अरुणाचल प्रदेश पर अपना हक जताता रहा है। 2017 में चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने अन्य भारतीय स्थानों का नाम बदल दिया था तो दोनों देशों में राजनैतिक टकराव हो गया था।
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- 2020 में भी जब पूर्वी लद्दाख में सीमा मुद्दों पर भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच हो ही रही थी तो 15 जून को चीनी सैनिक गलवान घाटी में भारतीय सेना द्वारा बनाए जा रहे पुल तक आन पहुंचे। पुल को तोड़ने और उसे बचाने की कोशिश में दोनों तरफ की सेनाओं में आमने-सामने की लाठी-डंडों की खतरनाक झड़प हो गइ थी। इसके बाद 2021 में फिर से चीन ने वही, 2017 वाली भारत के अधिकारक्षेत्र वाली जगहों के नाम बदलने वाली हरकत की तो फिर से विवाद हुआ।
- अब मानक मानचित्र का 2023 संस्करण जारी करके चीन ने एक बार फिर नया पंगा ले लिया। माना जा रहा है कि चीन का नक्शे के जरिये आक्रामकता दिखाने का रवैया 1949 से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के विस्तारवादी अभियान को मजबूत करना है, जो अरुणाचल प्रदेश राज्य और लद्दाख के कुछ हिस्सों को भारत की बजाय चीन में दिखाता है।
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