Explainer: इजरायल-हमास की जंग में अब तक गाजा में कितने लोगों ने गंवाई जान और कितने विश्वसनीय हैं आंकड़े?
इजरायल और हमास के बीच चल रहा युद्ध जल्द रुकता नजर नहीं आ रहा है। सात अक्टूबर को हमास ने सीमा पार हमला किया था जिसके बाद इजरायल ने गाजा में हवाई और जमीनी हमले किए हैं। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार तब से कम से कम 17,177 फलस्तीनी नागरिक मारे जा चुके हैं। वहीं, इजरायली आंकड़ों के मुताबिक हमास के इजरायल में हमले में करीब 1200 लोगों ने जान गंवाई है।
मदद करने वाली एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि गाजा में मानवीय आपदा लगातार खराब होती जा रही है। यहां के अधिकांश लोग अपना घर खो चुके हैं और एक छोटे से इलाके में फंसे हैं। इनके पास बहुत कम भोजन, पानी, मेडिकल केयर या सुरक्षित शेल्टर है। फोन और इंटरनेट सेवाएं बार-बार बाधित हो रही हैं। आशंका जताई जा रही है कि गाजा के स्वास्थ्य अधिकारी मृतकों की सही गणना तक नहीं कर पाएंगे।
लड़ाई के पहले छह सप्ताह में पूरे गाजा के अस्पतालों के मुर्दाघरों ने स्वास्थ्य मंत्रालय के मुख्य कलेक्शन सेंटर अल शिफा हॉस्पिटल में आंकड़े भेजे थे। मृतकों के नाम, उम्र और आईडी कार्ड नंबर का ट्रैक रखने के लिए एक्सेल शीट्स का इस्तेमाल हुआ था। यह डाटा फलस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय रामल्लाह भेजा गया था जो फलस्तीनी अथॉरिटी (पीए) का हिस्सा है जो इजरायली नियंत्रण वाले वेस्ट बैंक पर सीमित स्वशासन करता है।
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लेकिन रामल्लाह मंत्रालय के इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर के निदेशक हुसैन अली का कहना है कि शिफा डाटा सेंटर चला रहे चार अधिकारियों में से एक की एक एयरस्ट्राइक में मौत हो गई है। वहीं बाकी तीन तब से लापता हैं जब इजराइली बलों ने इस डाटा सेंटर को कथित तौर पर हमास के छिपने की जगह बताते हुए अपने कब्जे में ले लिया था।
एक दिसंबर को एक सप्ताह चला युद्ध विराम समझौता टूट गया था। इसके बाद रोज जारी होने वाला हताहतों का अपडेट अनियमित हो गया। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से आखिरी अपडेट गुरुवार को प्रवक्ता अशरफ अल-किदरा की ओर से आया था। इसमें मृतकों की संख्या बढ़ाकर 17,177 बताई गई थी। इसके अनुसार पिछले 24 घंटों में लगभग 350 लोगों की जान गई।
क्या सही हैं सामने आए ये आंकड़े?
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के प्रवक्ता का कहना है कि हमारी मॉनिटरिंग कहती है कि स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े असलियत से कम हो सकते हैं क्योंकि उनके डाटा में वो लोग शामिल नहीं हैं जो अस्पताल नहीं पहुंच पाए या मलबे में दब गए हों। जानकारों का मानना है कि यह एक तार्किक अनुमान है कि सामने आ रहे आंकड़े असल आंकड़ों से काफी कम हो सकते हैं। फलस्तीनी अथॉरिटी की 26 अक्टूबर की रिपोर्ट कहती है कि कम से कम 1000 शव रिकवर या मुर्दाघर नहीं ले जाए जा सके।
हताहतों के आंकड़े कितने भरोसेमंद?
सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार युद्ध से पहले गाजा की जनसंख्या के आंकड़े काफी मजबूत थे। यहां का स्वास्थ्य सूचना तंत्र अच्छे से काम कर रहा था और मध्य एशिया के कई देशों से बेहतर था। विशेषज्ञों का कहना है कि फलस्तीनी डाटा कलेक्शन क्षमताओं को पेशेवर माना जाता है। मंत्रालय के स्टाफ में से कई ने अमेरिका में प्रशिक्षण लिया है। सांख्यिकी विश्वस्तता सुनिश्चित करने के लिए वह कड़ी मेहनत करते हैं।
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26 अक्टूबर को फलस्तीनी अथॉरिटी के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 212 पन्नों की एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसमें 7028 फलस्तीनी नागरिकों के नाम, उम्र और आईडी नंबर दर्ज थे जिनकी मौत एयरस्ट्राइक्स में हुई थी। यह रिपोर्ट तब आई थी जब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हताहतों के आंकड़े पर शक जताया था। तब से ऐसी कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है जो बताती है कि गाजा में कम्युनिकेशन किस कदर प्रभावित हुआ है।
इस पर इजरायल का क्या कहना है?
इजरायल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा था कि गाजा में मारे गए लोगों में से लगभग एक तिहाई दुश्मन लड़ाके थे। उन्होंने इनकी संख्या का अनुमान 10,000 से कम लेकिन 5000 से ज्यादा लगाया था। हालांकि अधिकारी ने यह नहीं बताया था कि यह अनुमान किस आधार पर लगाया गया था। उन्होंने कहा था कि सोमवार तक फलस्तीनी अधिकारियों की ओर से दिए आंकड़ों के अनुसार मृतकों की कुल संख्या करीब 15,000 थी जिन्होंने नागरिकों और लड़ाकों की संख्या अलग-अलग नहीं की है।
बच्चों-व्यस्कों की मौत में कितना अंतर
संयुक्त राष्ट्र समेत इजरायली और फलस्तीनी कानून के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु वाले को बच्चा माना जाता है। हालांकि, माना जाता है कि हमास के कुछ सदस्य किशोर हैं। पीए स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कहा था कि गाजा में मारे गए लोगों में से करीब 70 प्रतिशत महिलाएं और बच्चे थे। लेकिन इसने 26 अक्टूबर की अपनी रिपोर्ट के बाद से आयु की श्रेणियों में कोई अंतर जारी नहीं किया है।
द लैंसेट जर्नल के अनुसार मंत्रालय की रिपोर्ट का डाटा दिखाता है कि सात से 26 अक्टूबर के बीच दर्ज की गई मौतों में 11.5 प्रतिशत चार साल तक के बच्चे थे। 11.5 प्रतिशत की उम्र पांच से नौ साल के बीच थी। 10.7 प्रतिशत की आयु 10 से 14 साल और 9.1 प्रतिशत की 15 से 19 साल के बीच थी।
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