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Watch Video: सड़कों पर बही घी की नदी, गुजरात के लोगों की आस्था से जुड़ी है कहानी

Gujrat Palli Mahotsav: लाखों किलो घी सड़कों पर नदी की तरह बहाया गया, जिसे लोग समेटकर अपने घर ले गए, वीडियो देखकर जानिए मामला...

Gujrat Palli Mahotsav
Gujrat Gandhinagar Palli Mahotsav: घी आजकल इतना महंगा हो गया है कि कुछ लोगों को देखने को भी नसीब नहीं होता, मगर गुजरात के गांधीनगर स्थित गांव रुपाल में लाखों किलो घी सड़कों पर नदी की तरह बहाया गया। यहां पर वरदायिनी माता का मन्दिर है, जिसकी हर साल पालकी निकलती है, जिसे स्थानीय भाषा में पल्ली महोत्सव कहते हैं। महोत्सव में लोग अपने बच्चों को मां की जोत के दर्शन करा कर धन्य मानते हैं। लाखों लोग माता की इस पल्ली में हिस्सा लेते हैं। < >

जोत को स्पर्श करना धन्य मानते लोग

दरअसल, गुजरात के लोगों की मां वरदायिनी में अटूट आस्था है। माता की इस पल्ली की भी खास मान्यता है। दरअसल, माता की जोत को घी से नहलाया जाता है। उसके बाद नवजात बच्चे को उस जोत का स्पर्श कराया जाता है, लेकिन माना जाता है कि गर्म जोत से बच्चे को कुछ भी नहीं होता है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ नवजात बच्चे को ही पल्ली की जोत से स्पर्श कराया जाता है, बल्कि हर शख्स एक बार माता की जोत का स्पर्श करता है या करने को उमड़ता है। जिसने स्पर्श कर लिया, वह खुद को धन्य मानता है। यह भी पढ़ें: फैंस को ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाने से रोका तो भड़के पाक पत्रकार, बोले- जागो PCB वालों

5000 साल से निभाई जा रही परंपरा

हर साल की तरह इस साल भी करोड़ों का घी मां की जोत पर चढाया गया, जो सड़कों पर बहकर गांव के बाहर निकला और हर बार निकलता है, लेकिन लोग इसे माता का प्रसाद मानते हैं और समेट कर घर ले जाते हैं। यह बात और है कि इस प्रसाद को सड़कों से उठाकर सिर्फ वाल्मीकि समाज के लोग ही ले जाते हैं। रुपाल में पल्ली की परम्परा 5000 साल से चली आ रही है। कहा जाता है कि यह परम्परा पांडवों ने शुरू की थी। मान्यता है कि उनका गुप्त वास यहां से शुरू हुआ था। यहां पर पांडवों ने पंच पल्ली यज्ञ किया था, तभी से यह रस्म चली आ रही है।


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