Moon Eclipse: आसमान में होगी उल्कापिंडों की बारिश, बरसेंगे आग के गोले, दिखेगी रोशनी से बनी ट्रेन
eta Aquariid Meteor Shower: हमारा यह ब्रह्मांड अद्भुत रहस्यों से भरा हुआ है। हमारे अपने सौरमंडल में भी ऐसे अनगिनत रहस्य हैं जिनसे हम आज तक अनजान हैं और निकट भविष्य में इन रहस्यों को सुलझाना शायद ही संभव हो पाएगा। ऐसा ही एक चमत्कार आज बुद्ध पूर्णिमा की रात्रि में भी देखने को मिलेगा। आज रात चंद्रग्रहण होने से पहले आसमान में उल्कापिंडों की बारिश होती नजर आएगी। यह देखने में रोशनी की एक ट्रेन की तरह दिखाई देगी और लगातार काफी समय तक दिखेगी।
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क्या है एटा एक्वारिड उल्का (eta Aquariid Meteor Shower)
यह उल्का हर वर्ष अप्रैल-मई माह में पृथ्वी के बहुत नजदीक आ जाती है। विशेषकर प्रत्येक वर्ष 5 मई के ठीक पहले यह पृथ्वी के अधिकतम नजदीक होती है। उस समय इसके छोटे-छोटे टुकड़े पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल से आकर्षित होकर पृथ्वी की ओर आते हैं। इनकी गति करीब 148000 मील (238182 किलोमीटर) प्रति घंटा तक होती है।
इसी दौरान ये पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करते हैं और तेज गति के कारण पैदा घर्षण के चलते जलने लगते हैं। उस समय इन्हें देखने पर ऐसा लगता है जैसे रोशनी की कोई ट्रेन नुमा वस्तु धरती की ओर आ रही है। ये कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनटों तक दिखाई दे सकते हैं। इस संबंध में NASA ने भी एक ट्वीट करते हुए जानकारी दी है।
अलबामा के हंट्सविले में एजेंसी के मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर में नासा के उल्कापिंड पर्यावरण कार्यालय के प्रमुख बिल कुक ने कहा कि एक उल्का बौछार में लगभग 50-60 उल्का प्रति घंटे के हिसाब से धरती की ओर आते हैं। ये एक विस्फोटक आंधी की तरह आते हैं जिन्हें 5 मई को सूर्यास्त के समय धरती से स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। इस दौरान एटा एक्वारिड के लगभग 120 से 160 टुकड़े पृथ्वी के वातावरण में तेजी से प्रवेश करते हैं।
उस समय ऐसा लगता है कि धरती पर आग के गोलों की वर्षा हो रही है। हालांकि यदि दूसरे उल्कापिंडों की बौछार को देखा जाए तो इस साल का एटा एक्वारिड उल्का बौछार याद करने योग्य नहीं है। आग के गोले बनाने के मामले में, नासा कैमरा का डेटा इसे उल्का वर्षा के बीच 6 रैंक पर रखता है।
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इस तरह देख सकेंगे आप भी
अगर आप भी उल्कापिंडों की इस बारिश को देखना चाहते हैं तो 5 मई को आधी रात के बाद से लेकर सूर्योदय से पहले तक देख सकेंगे। इस दौरान एटा एक्वारिड उल्का बौछार धरती के उत्तरी और दक्षिणी दोनों गोलार्द्धों में देखी जा सकेगी। हालांकि इसे देखने के लिए जरूरी है कि आप किसी सुदूर गांव में या जंगल में जाकर देखें, जहां रोशनी का नामोनिशान भी न हों। शहरों में मौजूद कृत्रिम रोशनी की चमक के चलते उल्कापिंडों की बौछार को देखना लगभग असंभव होगा। सबसे बड़ी बात यदि आप सही स्थान पर है तो इसे बिना किसी टेलिस्कोप या उपकरण के भी देख सकेंगे।
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