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भारत के 2 आईलैंड निगल गया समुद्र! अब इन तटीय शहरों पर मंडरा रहा है खतरा, बहुत कम बचा समय

30 साल में सुंदरबन के भंगादूनी और जम्बूद्वीप समुद्र में समा गए . 2050 तक सुंदरबन के 15% द्वीप भी इसी तरह डूब जाएंगे, लाखों लोगों से उनका आशियाना छिन जाएगा. मुंबई, कोच्चि जैसे कई शहर भी रडार पर हैं. जानिए क्या है वजह, कैसे बचाई जा सकती है तबाही?

2050 तक 113 तटीय शहरों का हिस्सा समंदर में समा सकता है.

सुंदरबन के मैन्ग्रूव जंगल प्रकृति के रक्षक कहलाते हैं, लेकिन जिस तरह से इंसान प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर रहा है, उससे ये रक्षक कमजोर पड़ रहे हैं. लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से कुछ ऐसा हुआ है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. 30 सालों में भंगादूनी और जम्बूद्वीप जैसे दो द्वीप लगभग गायब हो चुके हैं. साल 2023 में हुए फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) के मुताबिक मैन्ग्रूव जंगल का कवर कई जगहों पर कम हो गया है. पश्चिम बंगाल, गुजरात में ये कवर सिकुड़ गया है.

कैसे मिट गया भंगादूनी और जम्बूद्वीप का नामोनिशान?


रिपोर्ट की मानें तो 2050 तक 113 तटीय शहरों का हिस्सा समंदर में समा सकता है. सुंदरबन के दक्षिणी छोर पर बसे भंगादूनी द्वीप की आपबीती बेहद दर्दनाक है. 1975 में भंगादूनी आईलैंड पेड़-पौधों से लदा हुआ था. लेकिन 1991 में जो भंगादूनी द्वीप की जो तस्वीर सामने आई वो काफी निराशाजनक थी. भंगादूनी द्वीप का कुछ हिस्सा गायब हो चुका था. समंदर के बढ़ते स्तर से मैन्ग्रूव की जड़ें मिट्टी छोड़ रही थीं. 2016 में भंगादूनी का क्षेत्रफल आधा रह गया.

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जम्बूद्वीप की दास्तान

जम्बूद्वीप की दास्तान भी कुछ ऐसी ही है. 1991 में जम्बूद्वीप विशालकाय था. लेकिन 2016 तक जम्बूद्वीप का काफी हिस्सा समुद्र ने निगल लिया. 2024-2025 की NASA और WWF की रिपोर्ट में ये सामने आया है कि हर साल सुंदरबन में 3 सेमी तक जमीन समंदर में समा रही है.

2016 तक जम्बूद्वीप का काफी हिस्सा समुद्र ने निगल लिया.

द्वीपों को क्यों निगल रहा समुद्र?


रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल वॉर्मिंग ने समुद्र के स्तर को बढ़ा दिया है जिसकी वजह से आईलैंड्स लगातार डूब रहे हैं. साल 2023 में IPCC की एक रिपोर्ट की मानें तो बढ़ती गर्मी और ग्लोबल वॉर्मिंग से हिमालय की बर्फ पिघल रही है. समुद्र के पानी में नमक का स्तर भी बढ़ रहा है. जिससे मिट्टी का कटाव ज्यादा हो रहा है और ये कटाव मैन्ग्रूव की जड़ों को खोखला कर रहा है.

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कितने इलाकों पर मंडरा रहा है खतरा?

WWF-INCOIS 2025 के अनुसार, ये इलाके खतरे में हैं.

  • सुंदरबन का घोरामारा, मूसुनी, सागर पहले ही अपनी 30 वर्ग किमी जमीन खो चुके हैं. वहीं, दावा किया जा रहा है कि साल 2030 तक और 15% इलाका पानी में समा सकता है.
  • अन्य द्वीप/क्षेत्र: अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप के निचले द्वीपों पर भी ऐसा ही खतरा मंडरा रहा है.
  • तटीय शहर: भारत के 113 शहर 2050 तक जोखिम में हैं, जिनमें गुजरात का भावनगर, केरल का कोच्चि, आंध्र प्रदेश का विशाखापत्तनम, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई खतरे के निशान पर हैं.

2050 तक क्या होने वाला है?


रिपोर्ट के मुताबिक भारत के कई शहर आने वाले कुछ वर्षों में समुद्र में समा सकते हैं. पश्चिम बंगाल का सुंदरबन का 15 फीसदी हिस्सा समुद्र में समा सकता है, इस घटना से इलाके के 45 लाख लोग प्रभावित हो सकते हैं. इसके अलावा गुजरात के तटीय शहर भावनगर में समुद्र का जल स्तर 87 सेमी तक बढ़ने का भी दावा किया गया है. जबकि महानगर चेन्नई और मुंबई भी धीरे-धीरे समुद्र में समा सकते हैं, जिससे करोड़ों लोग प्रभावित होंगे. केरल के कोच्चि में 5 लाख से ज्यादा लोग सीधे प्रभावित होंगे. ऐसे में जरूरी है कि सरकार को मैन्ग्रूव बहाली, सी-वॉल और जलवायु अनुकूलन नीति (NDMA 2023) पर जोर देना चाहिए ताकि लाखों जिंदगियां तबाह होने से रोकी जा सके.


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