Maha Kumbh Stampede: पूरी दुनिया में संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में हो रहे महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh 2025) की ही बातें हो रही हैं। देश-विदेश से श्रद्धालु पवित्र स्नान करने के लिए आ रहे हैं। लेकिन 29 जनवरी का दिन बहुत ही बुरा और दुखद रहा। साल का सबसे शुभ दिन, मौनी अमावस्या और उसी दिन कुछ ऐसा हो गया जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी। जब हम बुधवार की सुबह उठे तो सुना कि त्रिवेणी संगम पर एक जानलेवा घटना घटित हो गई है।
इसे सुनते ही एक पल को तो दिमाग सन्न हो गया क्योंकि हमारे-आपके परिवार के कितने ही लोग महाकुंभ में स्नान के लिए गए हुए थे। महाकुंभ के पूरे दर्शन आपको सोशल मीडिया पर ही हो जाते हैं जिसमें इंफ्लूएंसर और यूट्यूबर रील्स बनाकर डाल रहे हैं। अब सवाल ये उठता है कि क्या महाकुंभ में हुई भगदड़ के लिए सोशल मीडिया जिम्मेदार है? आइए इस बारे में जान लेते हैं...
मौनी अमावस्या के दिन छाया मौन
मौनी अमावस्या का वो दिन जब महाकुंभ में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। सभी पवित्र स्नान की चाह लिए प्रयागराज पहुंचे, लेकिन अचानक हुई भगदड़ में किसी ने अपने पिता को खोया तो किसी ने बेटे को। किसी का तो पूरा परिवार ही बिखर गया। सैकड़ों लोग घायल हो गए और 17 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। मौनी अमावस्या के दिन पूरे देश-दुनिया में मातम सा पसर गया और मौनी की जगह मौन ने ले ली।
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सोशल मीडिया कितना जिम्मेदार
अगर देखा जाए तो महाकुंभ में हुई भगदड़ और इस जानलेवा हादसे के पीछे कहीं न कहीं सोशल मीडिया जिम्मेदार है। आप ये न समझें की हम सोशल मीडिया के खिलाफ हैं, लेकिन रील्स बनाने वालों ने महाकुंभ की जो सुंदर और दिल को मोह लेने वाली तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की उन्होंने करोड़ों लोगों को महाकुंभ की ओर आकर्षित किया। उत्सव के पहले दिन इंस्टाग्राम पर लगभग 3,50,000 पोस्ट का एक बड़ा सोशल मीडिया पुश देखा गया। केवल 10 सेकंड में, सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर्स महाकुंभ की एक बेहतरीन तस्वीर उकेरने में कामयाब रहे हैं।
गुलाबी छवि ने लोगों को किया आकर्षित
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर द्वारा महाकुंभ के पहले और दूसरे ही दिन शुद्ध जल के ड्रोन शॉट्स, खुशी से पवित्र डुबकी लगाती भीड़ और हवा में गूंजते भजनों वाला माहौल दिखाया गया जिससे पूरा सोशल मीडिया पट गया। लेकिन किसी ने जमीनी हकीकत और तैयारियों के बारे में नहीं बताया। न ही लोगों को ये बताया कि वो कैसे और कहां स्नान किया जाए, ताकी अराजकता फैलने का मौका ही न मिले।
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