स्कैमर आए दिन लोगों को ठगने के नए-नए तरीके निकालते रहते हैं. कभी नकली पुलिस कर्मी बन जाते हैं, कभी कस्टम ऑफिसर तो कभी पापा के दोस्त बनकर फोन कॉल करते हैं. स्कैमर आपको कॉल करके बोलेगा कि वो आपके पिता का कोई जानने वाला है और उसने आपके पिता से कुछ पैसे लिए थे. स्कैमर कहेगा कि वो आपके पापा के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर नहीं कर पा रहा है, इसलिए वो आपके अकाउंट में पैसे भेजना चाहता है. वो पहले आपको 1 रुपया भेजेगा और फिर आपसे किसी बहाने ओटीपी मांगकर आपका अकाउंट खाली कर देगा. साइबर ठग और किस-किस तरह के तरीके अपनाते हैं और ठगी से कैसे बचा जा सकता है. इस बारे में एक्सपर्ट चंदन जैन ने एक खास बातचीत में डिटेल जानकारी दी, जो खुद एक रिटायर्ड IAS अधिकारी हैं.
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कहां से आता है डाटा?
एक्सपर्ट ने बताया कि अकसर हम लोग बैंकों में अपने डॉक्यूमेंट्स जमा करवाते हैं. उनमें आधार कार्ड, पेन कार्ड, फोन नंबर सभी होते हैं. स्कैमर यही डाटा चोरी करके लोगों को ठगने का प्लान बनाते हैं. इन्हें ये भी पता होता है कि आपके अकाउंट में कितने पैसे हैं. बड़े-बुजुर्गों, कम पढ़े-लिखे लोगों और महिलाओं को टारगेट करना इनके लिए आसान होता है. हाल ही में मुंबई में रहने वाले एक सीनियर सिटीजन के पास एक महिला की फ्रेंड रिक्वेस्ट आई, जिसे उन्होंने इग्नोर कर दिया. फिर एक के बाद तीन महिलाओं ने उन्हें रिक्वेस्ट भेजी, जिनसे वो बात करने लगे. धीरे-धीरे वो महिलाएं अपनी प्रॉब्लम बताकर उनसे पैसे मांगने लगीं. 3 साल में उन्होंने 3 करोड़ रुपये ऐंठ लिए
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स्कैम करने पर मिलता है इनसेंटिव
एक्सपर्ट के मुताबिक चीनी स्कैमर अपना बड़ा ऑफिस खोलते हैं, जहां से कॉलिंग की जाती है. स्कैम करने पर इंसेंटिव दिया जाता है. इसका खुलासा तब हुआ जब म्यांमार में भारतीय सरकार की रिक्वेस्ट पर छापेमारी की गई. इसमें सामने आया कि कॉल सेंटर में 500 से ज्यादा कर्मचारी थे जो सिर्फ स्कैम करने के लिए कॉल करते थे.
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ठगी से कैसे बचें?
एक्सपर्ट ने बताया कि सावधान रहकर ही साइबर ठगी से बचा जा सकता है. जब भी स्कैमर की कॉल आती है तो वो ड्रग्स, मनी लॉन्ड्रिंग या क्रिमिनल एक्टिविटी जैसे सीरियस आरोप लगाना चाहते हैं. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि कोई भी एजेंसी चाहे वो एनसीबी हो, पुलिस हो या कस्टम ऑफिसर हो, वो किसी को भी कॉल नहीं करते.