क्या है छह महीने पुराने वायरल हुए समन में? जिससे तमिलनाडु में फैला आक्रोश, बैकफुट पर आई ईडी
ED vs Dalit farmers: तमिलनाडु का वह मामला, जिसमें ईडी के खिलाफ हुई कार्रवाई की मांग
ED vs Dalit Farmers: तमिलनाडु में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को भारी आक्रोश का सामना करना पड़ा। इसकी वजह दो दलित किसानों को जारी छह महीना पुराना एक समन है, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। हालांकि, जन आक्रोश को देखते हुए ईडी ने अब दोनों किसानों के खिलाफ चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच को बंद करने का फैसला किया है। एजेंसी ने पांच जुलाई 2023 को किसानों को समन जारी किया था।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि एस कन्नैयन और उनके भाई एस कृष्णन ने अपने खेत के चारों और बिजली की बाड़ लगाई थी, जिसकी चपेट में आने से दो भारतीय बाइसन की मौत हो गई। इस पर दोनों के खिलाफ वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 2 (16), 2(36) और धारा 51 (1) के साथ धारा 9 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
ट्रायल कोर्ट ने 28 दिसंबर 2021 को कृष्णन और कन्नैयन दोनों को बरी कर दिया। हालांकि, ईडी ने दोनों के रिहा होने के बावजूद उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर का संज्ञान लेते हुए घटना के संबंध में तमिलनाडु वन विभाग से पत्र एक पत्र के आधार पर मार्च 2022 में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच शुरू की।
ईडी के समन पर दलों ने जताई आपत्ति
यह विवाद तब खड़ा हुआ, जब पांच जुलाई 2023 को जारी किया समन फिर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल होने लगा। तमाम राजनीतिक दलों ने ईडी के समन में किसानों की जातियों का उल्लेख करने पर आपत्ति जताई। वहीं, ईडी ने जाति का उल्लेख करने को लिपिकीय त्रुटि बताया। हालांकि, फिर भी विवाद थमा नहीं।
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किसानों के वकील ने लगाए बड़े आरोप
किसानों के वकील जी प्रवीणा ने दावा किया कि ईडी की कार्रवाई उनके मुवक्किलों पर दबाव डालने का प्रयास था। ये किसान स्थानीय भाजपा नेता जी गुणशेखर के साथ कानूनी लड़ाई में उलझे हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेता अत्तूर में किसानों की जमीन जब्त करने का प्रयास कर रहे हैं।
ईडी के खिलाफ कार्रवाई की मांग
प्रवीणा ने ईडी की मंशा पर न सिर्फ सवाल उठाया, बल्कि उसकी कार्यशैली पर भी असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि पुलिस ईडी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तार करे। हमने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी है। वहीं. ईडी के एक अधिकारी ने बताया कि मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है, क्योंकि समन लगभग छह महीने पुराना है। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को पीएमएलए मामलों में अपनाई जाने वाली नियमित प्रक्रिया के तहत समन जारी किया गया था।
किसानों को दोबारा नहीं जारी किया गया समन
अधिकारी ने बताया कि किसानों से पांच जुलाई 2023 को पूछताछ नहीं की गई थी और न ही उसके बाद से उन्हें कोई समन जारी किया गया है। बल्कि पांच जुलाई को चेन्नई में किसानों के वकील ने ईडी ऑफिस में हंगामा किया था। ईडी ने मामले में किसी भी तरह का राजनीतिक संबंध होने से इनकार किया है।
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