TrendingVladimir PutinSwaraj Kaushalparliament winter session

---विज्ञापन---

कौन हैं TMC से निकाले विधायक हुमायूं कबीर? बाबरी मस्जिद पर बयान देने पर ममता बनर्जी ने पार्ट से निकाला

Who is Humayun Kabir: बाबरी मस्जिद को मुर्शिदाबाद में बनाने का ऐलान करने पर विधायक हुमायूं कबीर को तृणमूल कांग्रेस से 6 साल के लिए निकाला गया है. पश्चिम बंगाल की बेलडांगा सीट से विधायक हुमायूं कबीर राजनीति में जाना माना नाम हैं. 26 साल के राजनीतिक करियर में हुमायूं कबीर कई बार अपनी पार्टी बदल चुके हैं. ममता बनर्जी पर उन्होंने सवाल उठाए थे.

Who is Humayun Kabir: पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के विधायक हुमायूं कबीर इससे पहले कांग्रेस, भाजपा, समाजवादी पार्टी में रह चुके हैं. एक बार तो निर्दलीय चुनाव लड़कर भी हारे थे. पश्चिम बंगाल की राजनीति में हुमायूं कबीर पुराना और मशहूर नाम हैं. बाबरी मस्जिद को मुर्शिदाबाद में बनाने का ऐलान करने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उनसे इतनी नाराज हुईं कि उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया गया है. 26 साल के करियर में हुमायूं कबीर कई बार अपनी राजनीतिक पार्टी बदल चुके हैं, इससे पहले 2015 में भी हुमायूं कबीर टीएमसी से सस्पेंड हो चुके हैं.

कौन है टीएमसी से निकाले गए विधायक हुमायूं कबीर?

पश्चिम बंगाल की बेलडांगा सीट से विधायक हुमायूं कबीर ने राजनीति 1993 में कांग्रेस के साथ शुरू की थी. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के करीबी माने जाने वाले हुमायूं कबीर ने पहली बार कांग्रेस में रहते ही पंचायत चुनाव में अपना नसीब आजमाया था. विधानसभा चुनाव भी पहला 2011 में कांग्रेस में रहते हुए ही लड़ा और जीते. एक साल में ही उनका कांग्रेस से मन भर गया और नवंबर 2012 में हुमायूं कबीर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. तृणमूल कांग्रेस में हुमायूं कबीर को मंत्री बनाया गया. मंत्री बने रहने के लिए जरूरी चुनाव जीतने की शर्त पूरी करने के लिए रेजिनानगर विधानसभा उपचुनाव में उतरे, लेकिन हार गए, इसलिए मंत्रीपद भी गंवाना पड़ा.

---विज्ञापन---

यह भी पढ़ें: TMC ने हुमायूं कबीर को किया सस्पेंड, बाबरी मस्जिद को मुर्शिदाबाद में बनाने का किया था ऐलान

---विज्ञापन---

ममता बनर्जी पर हुमायूं कबीर ने पहले भी उठाए सवाल

हुमायूं कबीर ने पहले भी 2015 में तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी पर परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगाए थे. आरोप भतीजे अभिषेक बनर्जी को लेकर लगाए गए थे कि ममता बनर्जी उन्हें पार्टी में राजा की हैसियत दिलाने की कोशिश कर रहे हैं. हुमायूं कबीर की यह हरकत ममता बनर्जी को नागवार गुजरी थी और हुमायूं कबीर को छह साल के लिए तृणमूल कांग्रेस से निकाल दिया गया था. इसके बाद हुमायूं कबीर ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन की. निर्दलीय की टिकट पर 2016 के विधानसभा चुनाव में उतरे, हार के बाद दोबारा कांग्रेस में लौट आए. वहां भी ज्यादा देर तक नहीं रुके और 2018 में भाजपा में शामिल हो गए. तृणमूल कांग्रेस में दोबारा 2020 में आए थे.

यह भी पढ़ें: अलविदा स्वराज कौशल : जॉर्ज फर्नांडीस के केस ने दिलाई थी फेम, सबसे कम उम्र के बने थे राज्यपाल


Topics:

---विज्ञापन---