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2026 का चुनावी चक्रव्यूह: चार राज्य, 15 दिन और बीजेपी का मिशन जीत-ममता के किले को भेदने की तैयारी

नए साल से पहले ही देश की सियासत पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुकी है. 2026 के विधानसभा चुनावों की तैयारियों के तहत केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के प्रमुख रणनीतिकार अमित शाह खुद मैदान में उतर गए हैं. पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और असम—चार राज्य, करीब 15 दिन और एक स्पष्ट लक्ष्य—बीजेपी की चुनावी मशीनरी को फुल मोड में लाना. पार्टी के लिए सबसे बड़ा और सबसे कठिन मोर्चा पश्चिम बंगाल माना जा रहा है, जहां सीधा मुकाबला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से है.

नए साल से पहले ही देश की सियासत पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुकी है. 2026 के विधानसभा चुनावों की तैयारियों के तहत केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के प्रमुख रणनीतिकार अमित शाह खुद मैदान में उतर गए हैं. पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और असम—चार राज्य, करीब 15 दिन और एक स्पष्ट लक्ष्य—बीजेपी की चुनावी मशीनरी को फुल मोड में लाना. पार्टी के लिए सबसे बड़ा और सबसे कठिन मोर्चा पश्चिम बंगाल माना जा रहा है, जहां सीधा मुकाबला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से है.

बंगाल: सबसे कठिन, सबसे अहम पड़ाव

असम दौरा पूरा करने के बाद अमित शाह देर रात पश्चिम बंगाल पहुंचे और 30-31 दिसंबर को राज्य में संगठनात्मक बैठकों और रणनीतिक मंथन में जुटे. 294 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी 77 सीटों के साथ मुख्य विपक्ष की भूमिका में है और करीब 38 फीसदी वोट शेयर के साथ सत्ता के सबसे करीब मानी जाती है. बीजेपी का फोकस भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था और केंद्र सरकार की योजनाओं को चुनावी मुद्दा बनाकर सत्ता परिवर्तन की जमीन तैयार करने पर है.

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तमिलनाडु: सत्ता नहीं, संगठन विस्तार का लक्ष्य

पश्चिम बंगाल के बाद जनवरी के पहले हफ्ते में अमित शाह तमिलनाडु का रुख करेंगे. 234 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी की मौजूदगी सीमित है—महज 4 सीटें और करीब ढाई फीसदी वोट शेयर. द्रविड़ राजनीति के मजबूत गढ़ में पार्टी का लक्ष्य फिलहाल सत्ता हासिल करना नहीं, बल्कि संगठन विस्तार है. एआईएडीएमके के साथ गठबंधन को स्थिर करना, सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय करना और शहरी व युवा वोटरों में पकड़ मजबूत करना अमित शाह के एजेंडे में शामिल है.

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केरल: तीसरे विकल्प के तौर पर उभार

जनवरी के दूसरे हफ्ते में अमित शाह केरल पहुंचेंगे. 140 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी को अब तक सीमित सफलता मिली है, लेकिन करीब 12 फीसदी वोट शेयर पार्टी को उम्मीद देता है. पिछले लोकसभा चुनाव में त्रिशूर सीट पर जीत और हाल के स्थानीय निकाय चुनावों में बढ़त के बाद बीजेपी खुद को कांग्रेस और वाम दलों के बीच एक मजबूत तीसरे विकल्प के तौर पर पेश करने की रणनीति पर काम कर रही है.

असम: सत्ता की हैट्रिक की तैयारी

बीजेपी इन दौरों को संगठनात्मक मजबूती और जमीनी हकीकत समझने का मिशन बता रही है. इसका उदाहरण असम है, जहां अमित शाह आज शाम अपना दौरा पूरा कर लेंगे. 126 सीटों वाले असम में बीजेपी 60 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है और एनडीए 75 सीटों के साथ सत्ता में है. करीब 33 फीसदी वोट शेयर के साथ पार्टी यहां सत्ता की हैट्रिक की तैयारी कर रही है.

विपक्ष का हमला, बीजेपी का जवाब

अमित शाह के दौरों को लेकर विपक्ष ने भी मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी केंद्रीय एजेंसियों और ध्रुवीकरण की राजनीति के सहारे राज्यों में सत्ता हासिल करना चाहती है. टीएमसी का दावा है कि बंगाल में बीजेपी की रणनीति बार-बार नाकाम हुई है और 2026 में भी जनता ममता बनर्जी के साथ खड़ी रहेगी.

कुल मिलाकर, नए साल से पहले अमित शाह को चुनावी मैदान में उतारकर बीजेपी ने साफ कर दिया है कि 2026 की विधानसभा जंग शुरू हो चुकी है. बंगाल में सत्ता परिवर्तन की कोशिश, तमिलनाडु में संगठन विस्तार, केरल में राजनीतिक ब्रेकथ्रू और असम में सत्ता को और मजबूत करने की रणनीति—चारों राज्यों के लिए अलग-अलग प्लान के साथ बीजेपी अपनी पूरी ताकत झोंकने जा रही है.


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