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Uttarkashi: टनल में 8 दिन से फंसे 41 मजदूर, गडकरी-धामी ने लिया जायजा, कहा- पीड़ितों को बचाना हमारी प्राथमिकता

Uttarkashi Tunnel Rescue Operation Latest Update: उत्तरकाशी में सिलक्यारा में टनल में फंसे 41 मजदूर पिछले 8 दिनों से जिदंगी की जंग लड़ रहे हैं। इस बीच मजदूरों का स्वास्थ्य भी खराब होने लगा है। उन्हें कब्ज, सरदर्द जैसी कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।

Uttarkashi Tunnel Rescue Operation Latest Update
Uttarkashi Tunnel Rescue Operation Latest Update: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल धंसने से 41 मजदूर पिछले 8 दिनों से फंसे हैं। इस बीच उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मौके पर पहुंचे हैं। इस दौरान उन्होंने रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया और एक्सपर्ट के पैनल के साथ बातचीत की।
बचाव कार्यों का जायजा लेने के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि पिछले 7-8 दिनों से हम पीड़ितों को बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। उन्हें जल्द से जल्द बाहर निकालना उत्तराखंड सरकार और भारत सरकार की प्राथमिकता है। हमनें यहां काम कर रहे संबंधित अधिकारियों के साथ घंटे भर तक बैठक की है। हम 6 वैकल्पिक विकल्पों पर काम कर रहे हैं और भारत सरकार की विभिन्न एजेंसियां ​​यहां काम कर रही हैं। पीएमओ से भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सुरंग विशेषज्ञों और बीआरओ अधिकारियों को भी बुलाया गया है। हमारी पहली प्राथमिकता फंसे हुए पीड़ितों को भोजन, दवा और ऑक्सीजन उपलब्ध कराना है। इस बीच सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन ने कहा कि सुरंग में बिजली और पानी की कमी है। 2 किमी. की जगह है। पहले दिन से हम 4 इंच के पाइप के जरिए खाना भेज रहे हैं। सूरज की रोशनी वहां नहीं पहुंच रही है, हम डॉक्टरों के सुझाव के अनुसार विटामिन बी, विटामिन सी और अवसादरोधी दवाएं भेज रहे हैं। ये लोग लंबे समय से सुरंग में काम कर रहे हैं, इसलिए उनमें कोई निराशा नहीं है, और वे बाहर आने के लिए उत्सुक हैं। इसमें कुछ समय लगेगा, लेकिन हम अंततः उन्हें बाहर निकाल लेंगे। बता दें कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में दिवाली की सुबह धंसी टनल में फंसे मजदूरों को अब तक नहीं बचाया जा सका है। ऐसे में आज फिर से ऑपरेशन शुरू होगा। पिछले 7 दिनों में 4 ड्रिलिंग मशीनें फेल हो चुकी हैं। ऐसे में अब रेस्क्यू ऑपरेशन में जूटी एजेंसिया एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पीडब्ल्यूडी और आईटीबीपी एक साथ पांच ओर से ड्रिलिंग करेंगी।
ड्रिलिंग के लिए रातभर मशीनों से पेड़ों को काटकर सड़क बनाने का काम किया गया है। तो वहीं हाॅरिजेंटल ड्रिलिंग के लिए हाॅलैंड से मंगाई गई मशीन आज शनिवार दोपहर तक पहुंच सकती है। बता दें कि ड्रिलिंग के दौरान मलबे में चट्टान के आ जाने से शुक्रवार दोपहर के बाद अभी तक कोई काम नहीं हो सका है।

ऐसे चलेगा ऑपरेशन

पहला चरण- इंदौर से मंगाई गई मशीन टनल के मेन गेट से ड्रिलिंग  करेगी। इसकी जिम्मेदारी नेशनल हाइवे अथाॅरिटीज के पास है। यहां से 35 मीटर खुदाई होनी है, लेकिन रास्ते में बोल्डर आ गए हैं।
दूसरा चरण- टनल के दूसरे छोर डंडालगांव की ओर से ओएनजीसी खुदाई करेगी। यहां से 441 मीटर खुदाई होनी है।
तीसरा चरण - टनल के बायीं ओर मशीन ले जाने के लिए बीआरओ सड़क बना रही है। यहां 172 मीटर हाॅरिजेंटल ड्रिलिंग  होगी।
चौथा चरण- यमुनोत्री जाने वाले पुराने रास्ते पर दायीं ओर 320-350 मीटर हाॅरिजेंटल ड्रिलिंग करेगी।
पांचवा चरण- सिलक्यारा से 350 मीटर आगे सतलुज जल विद्युत निगम 92 मीटर की 2 ड्रिलिंग करेंगे। पहली ड्रिलिंग के जरिए मजदूरों को खाना दिया जाएगा। इस काम में 2 दिन लग सकते हैं। वहीं दूसरी ड्रिलिंग 1 मीटर से ज्यादा चैड़ी होगी जिससे लोगों को निकाला जाएगा।

मजदूरों का बिगड़ रहा स्वास्थ्य

इस बीच सुरंग में फंसे मजदूरों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। मजदूरों को कब्ज, सिरदर्द, क्लॉस्ट्रोफोबिया से बढ़ती चिंता से गंभीर समस्याएं हो रही हैं। वहीं दूसरी ओर अधिकारियों ने दावा किया है कि वे भोजनए पानी और ऑक्सीजन जैसी आवश्यक आपूर्ति टनल में भेज रहे हैं। वहीं चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें तो मजदूरों को भेजे जा रहे सूखे मेवे, मुरमुरे और पाॅपकाॅर्न जैसी चीजें एक स्वस्थ व्यक्ति के बहुत ही कम पड़ता है।

दवाओं को पचाने के लिए भोजन चाहिए

जानकारी के अनुसार वाॅकी टाॅकी पर जब अधिकारी मजदूरों से बात कर रहे थे उस दौरान एक मजदूर टिंकू कुमार जोर से चिल्लाया और बोला कि हमारे फंसे हुए भाइयों को दवाओं को पचाने के लिए उनके पेट में भोजन की जरूरत है। अधिकारियों को समझना चाहिए कि उन्हें अब तक उचित भोजन नहीं मिला है। पाॅपकाॅर्न और ड्राई फ्रूट्स से काम नहीं चलेगा।


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