Uttarkashi faces highest risk of cloudburst From June to September: उत्तरकाशी में एक बार फिर बादल फटने से तबाही मची हुई है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो इस प्राकृतिक आपदा में करीब 200 से अधिक लोग चपेट में आ गए हैं, जिसमें से करीब 130 लोगों को बुधवार सुबह तक सकुशल बचा लिया गया है। जबकि 50 से अधिक लोग लापता हैं और अब तक 4 लोगों के मरने की सूचना है।
इस घटना के बाद उत्तरकाशी में सरकार के इंतजाम और आपदा प्रबंधन पर विपक्ष कई सवाल उठा रही है। वहीं, बुधवार सुबह उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावग्रस्त क्षेत्र का दौरा किया। इस दौरान मीडिया के पूछने पर उन्होंने कहा कि 10 डीएसपी, 3 एसपी और लगभग 160 पुलिस अधिकारी बचाव अभियान में लगे हुए हैं। आगे उन्होंने डिटेल देते हुए बताया कि भारतीय सेना के हेलीकॉप्टर भी तैयार हैं। जैसे ही मौसम में सुधार होगा, हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल बचाव कार्यों के लिए किया जाएगा।
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पर्यावरणीय नुकसान और मानसून की तीव्रता से फट रहे बादल, बचाव के लिए करना होगा ये काम
मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो उत्तरकाशी में बादल फटने की घटनाएं नई नहीं हैं। यहां की भौगोलिक स्थिति, पर्यावरणीय को नुकसान, मानसून की तीव्रता और जलवायु परिवर्तन के चलते बादल फटने का खतरा अधिक रहता है। वहीं, विपक्ष का आरोप है कि आपदा प्रबंधन में कमी, लोगों में जागरूक का अभाव के चलते ये घटना हुई है। इसके लिए सरकार को इलाके में योजनागत विकास और वन सरंक्षण पर काम करना होगा।
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उत्तरकाशी में बादल फटने के कुछ प्रमुख कारण
- हिमालयी भूगोल और ऊंचाई
- मानसून और मौसम पैटर्न
- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
- पर्यावरणीय डिग्रेडेशन
मौसम की चेतावनियों को समय पर लागू करने से कम किया जा सकता है नुकसान
धामी सरकार का दावा है कि प्रभावग्रस्त लोगों के लिए खाने के पैकेट और डॉक्टरों की एक टीम तैयार कर ली गई है। साथ में प्रशासन द्वारा बिजली बहाल करने का काम भी चल रहा है। बता दें धराली में अभी मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध नहीं है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो उत्तरकाशी में मौसम की चेतावनियों को समय पर लागू करने से नुकसान को कम किया जा सकता है।
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