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Uttarakhand Tunnel Rescue: क्या है वह टेक्निक, जिससे थाईलैंड में गुफा से बच्चे निकाले गए थे, अब सुरंग से 40 मजदूर निकाले जाएंगे

Uttarakhand Tunnel Rescue Operation: उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे 40 लोगों को निकालने के लिए अब वह टेक्निक अपनाई जाएगी, जिससे थाईलैंड में गुफा में फंसे 12 बच्चे निकाले गए थे।

Uttarakhand Tunnel Rescue
Uttarakhand Tunnel Rescue Operation With Thiland Company: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 12 नवंबर की सुबह 4 बजे भूस्खलन के बाद निर्माणाधीन टनल धंस गई, जिसमें काम कर रहे 40 मजदूर फंस गए। 4 दिन से मजदूर टनल के अंदर हैं। उन्हें पाइप के जरिए ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है, लेकिन अभी तक मलबा हटाकर उन्हें निकाला नहीं जा सकता है। टनल चारधाम प्रोजेक्ट के तहत सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है। टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा हैं। मजदूरों को बचाने में 200 से ज्यादा लोगों की जुटी है। मजदूरों को टनल के अंदर से निकालने के लिए सेना ने हैवी ड्रिलिंग मशीन मंगाई, जिसे लेकर हरक्यूलिस बुधवार को चिन्यालीसौर हैलीपेड पहुंचा। इससे पहले 14 नवंबर को स्टील पाइप के जरिए मजदूरों को निकालने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। अब भारत सरकार ने मजदूरों की जान बचाने के लिए थाइलैंड की कंपनी से मदद मांगी है। इस कंपनी ने 2018 में थाइलैंड की एक गुफा में फंसे फुटबाल टीम के 12 सदस्यों को 14 दिनों के बाद सुरक्षित निकाला था।  

थाईलैंड में कैसे बचाए गए थे 12 बच्चे?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 3 जून 2018 को 11 से 16 साल तक के बच्चे और उनका 25 साल का कोच उत्तरी थाइलैंड की थाम लुआंग गुफा में गए थे, लेकिन फंस गए। 8 जुलाई को 13 में से 4 को सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिया गया, लेकिन बच्चों को बचाते समय पूर्व थाई नेवी सील कमांडर की 10 किलोमीटर लंबी गुफा के अंदर ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत हो गई थी। इसके बाद 13 गोताखोर और 5 थाई नेवी सील कमांडर गुफा में फंसे बच्चों को निकालने के लिए घुसे। टीम में UK, US, चीन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, लाओस और म्यांमार के एक्सपर्ट्स शामिल थे। 13 गोताखोरों में से हर बच्चे को 2-2 गोताखोर बचाकर लाए। इसके लिए गोताखोरों ने पहले ही गुफा में रस्सियां डाल दी थीं, जिन्होंने रास्ता बनाया। गोताखोरों ने एक-एक कर चारों बच्चों को चैंबर 3 में बने बेस तक पहुंचाया, जहां बच्चों ने आराम किया। इससे आगे का रास्ता उन्होंने पैदल चलकर पार किया।  

PM मोदी खुद ले रहे रेस्क्यू का अपडेट

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गोताखोरों को बच्चों को निकालने के लिए एकदम अंधेरे में पानी में चलना पड़ा। कहीं 3 फीट चौड़े और 2 फीट लंबे संकरे रास्ते भी थे। कहीं ऊपर चढ़ना पड़ा तो कहीं गोता लगाना पड़ा। एक बच्चे को गुफा से निकालने में गोताखोरों को 11 घंटे लगे। अभी इसी तकनीक से उत्तराखंड में टनल में फंसे मजदूरों को निकाला जाएगा। राज्य आपदा विभाग की मानें तो टनल के अंदर झारखंड के 15, ओडिशा के 5, पश्चिम बंगाल के 3, असम के 2, हिमाचल प्रदेश का 1 और यूपी के 8 मजदूर फंसे हैं। बचाव कार्य का निरीक्षण करने पहुंचे CM पुष्कर धामी ने भी बताया कि सभी मजदूर सुरक्षित हैं। उनसे संपर्क किया जा रहा है। आवश्यक दवाएं और खाना-पानी पहुंचाया जा रहा है। CM पुष्कर धामी ने हादसे की जांच के लिए 6 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है। इसके अलावा हादसे और बचाव ऑपरेशन से जुड़ा पल-पल का अपडेट PM मोदी और गृह मंत्रालय भी ले रहे हैं।


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