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Joshimath Sinking: जमीन धंसाव पर NTPC का बड़ा बयान, कहा- ये जोशीमठ की पुरानी समस्या

Joshimath Sinking: उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ (Joshimath) में जमीन धंसने के मामले में एक नया मोड़ आ गया है। यहां अब तक 826 इमारतों में दरारें आ चुकी हैं। इनमें से 165 असुरक्षित क्षेत्र में शामिल हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि जोशीमठ में चल रहा एनटीपीसी की टनल (NTPC Tunnel) का काम इस […]

Joshimath Sinking: उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ (Joshimath) में जमीन धंसने के मामले में एक नया मोड़ आ गया है। यहां अब तक 826 इमारतों में दरारें आ चुकी हैं। इनमें से 165 असुरक्षित क्षेत्र में शामिल हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि जोशीमठ में चल रहा एनटीपीसी की टनल (NTPC Tunnel) का काम इस आपदा के लिए जिम्मेदार है। इसी बीच वहीं मंगलवार को एनटीपीसी परियोजना (NTPC) से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। और पढ़िए –लखनऊ हाईकोर्ट ने खारिज की अरविंद केजरीवाल की याचिका, 2014 में प्रचार के दौरान दर्ज हुई थी एफआईआर

NTPC के अपर महाप्रबंधक ने दिया ये बयान

जोशीमठ के लोगों की ओर से एनटीपीसी टनल के काम को भूमि धंसने की स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।  अब इस मुद्दे पर एनटीपीसी के अपर महाप्रबंधक जियोलॉजी भुवनेश कुमार ने बयान आया है। उन्होंने कहा है कि जमीन धंसना यहां (जोशीमठ) का पुराना मुद्दा है। इस सुरंग (एनटीपीसी की एक परियोजना) का इससे कोई संबंध नहीं है। यह 12 किलोमीटर की सुरंग एक बोरिंग मशीन द्वारा खोदी गई है। और पढ़िए –Indore: अमिताभ बच्चन ने की अपील, मेरा लिवर 75% खराब, आप समय रहते जांच जरूर कराएं

... तो सबसे पहले टन ही प्रभावित होती

उन्होंने बताया कि वर्तमान में इस सुरंग में कोई विस्फोट नहीं किया जा रहा है। इसमें पानी भी नहीं भरा गया है। यदि जमीन का धंसाव इसके कारण हुआ होता, तो इससे पहले सुरंग प्रभावित होती। इस सुरंग के कारण भूमि के धंसने की कोई संभावना नहीं है। और पढ़िए –MP News: सर्दी का सितम, इस शहर में हार्ट अटैक से पांच लोगों की मौत, डॉक्टर बोले-ठंड में रखें सावधानी

ड्रिल बोरिंग से बनी है सुरंगः मुख्य महाप्रबंधक

एनटीपीसी के मुख्य महाप्रबंधक आरपी अहिरवार ने एएनआई को बताया कि जोशीमठ में (NTPC) टनल और लैंड सब्सिडेंस के बीच कोई संबंध नहीं है। 12 किमी में 8 किमी की सुरंग को ड्रिल बोरिंग और बाकी ब्लास्टिंग से बनाया जाएगा। टनल के जिस क्षेत्र में ब्लास्टिंग की जाएगी, वह जोशीमठ से 11 किमी की दूरी पर है। टनल भी जोशीमठ से नहीं गुजर रही है। इसलिए इस टनल के निर्माण से जमीन धंसने की कोई संभावना नहीं है। और पढ़िए –देश से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें


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