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Uttarakhand Forest Fire: CM धामी का बड़ा एक्शन, 10 कार्मिक सस्पेंड, SC ने भी मांगी रिपोर्ट

Uttarakhand Forest Fire: उत्तराखंड के धधकते जंगलों पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए राज्य सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी ने 10 वन कार्मिकों को निलंबित कर दिया।

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी।
Uttarakhand Forest Fire: उत्तराखंड में जंगलों में लगी आग पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए राज्य सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। इस बीच सीएम धामी ने सचिवालय में मीटिंग के बाद बड़ा फैसला लेते हुए 10 वन कार्मिकों को सस्पेंड कर दिया। जबकि 7 अन्य के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आदेश दिया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी आज रूद्रप्रयाग पहुंचे और धधकते जंगलों का जायजा लिया। बता दें कि जंगलों में लगी आग को लेकर सीएम धामी लगातार जिले के अधिकारियों से संपर्क कर फीडबैक ले रहे हैं। इसके साथ ही आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी कर रहे हैं। बीते सप्ताह भी मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अधिकारियों की बैठक लेकर दो टूक कहा था कि वनाग्नि के मामलों में लापरवाही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी और एक्शन ऊपर से नीचे तक होगा। इसी क्रम में आज सीएम धामी ने सचिवालय में वनाग्नि को लेकर बैठक की और वनाग्नि नियंत्रण में लापरवाही पर जिम्मेदारी तय करते हुए उनके द्वारा सम्बंधित कार्मिकों पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए। यही वजह रही कि आज एक साथ 17 कार्मिकों पर एक्शन लिया गया। इनमें से 10 को सीधे तौर पर निलंबित कर दिया गया है। जबकि 7 अन्य पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। साथ ही सीएम धामी बैठक लेने के तुरंत बाद रुद्रप्रयाग में वनाग्नि का स्थलीय निरीक्षण को निकल गए।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्त रवैया अपनाते हुए राज्य सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने कहा कि कृत्रिम बारिश उपाय नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी। याचिका में कहा गया था कि प्रदेश में आग लगने की 398 घटनाएं हो चुकी हैं। इसके साथ ही 62 से ज्यादा मामले अभी तक दर्ज किए गए हैं। ये भी पढ़ेंः गुजरात के दाहोद में भाजपा नेता के बेटे ने बूथ कैप्चर किया, लाइव स्ट्रीमिंग पर बोला- ‘EVM मेरे बाप की’ ये भी पढ़ेंः Lalu Yadav ने क्यों छेड़े मुस्लिम आरक्षण के तार? यहां समझें मुस्लिम आबादी का चुनावी समीकरण


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