TrendingIndigoGoasir

---विज्ञापन---

जज्बे को सलाम; बेटी को डॉक्टर बनाने के लिए महिला ने चुना कांटों भरा रास्ता, ‘जीवन संघर्ष’ सुन पसीज जाएगा दिल, Video

Jaunpur से नीतीश कुमार की रिपोर्टः कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता, जरा एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो.. इस कहावत को जौनपुर (Jaunpur) की गायत्री (Gayatri) चरितार्थ कर रही हैं। अपनी बेटी को डॉक्टर बनाने के लिए गायत्री ने ऐसा संघर्षभर रास्ता चुना है कि लोग उनके हौसले की दाद […]

Jaunpur से नीतीश कुमार की रिपोर्टः कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता, जरा एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो.. इस कहावत को जौनपुर (Jaunpur) की गायत्री (Gayatri) चरितार्थ कर रही हैं। अपनी बेटी को डॉक्टर बनाने के लिए गायत्री ने ऐसा संघर्षभर रास्ता चुना है कि लोग उनके हौसले की दाद देते नहीं थकते। समाज की बंदिशों और तानों की परवाह न करते हुए बेटी को कुछ बनाने के लिए गायत्री जी-जान से मेहनत में जुटी हैं। [videopress YgKQXN2a]

ईमारदारी और मेहनत सब रास्ते आसान कर देती है

जौनपुर की सड़कों पर आजकल एक महिला ई-रिक्शा चलाते हुए दिख रही है। न्यूज24 की टीम ने जब महिला से ई-रिक्शा चलाने का कारण पूछा तो उनके जवाब ने सभी को हैरान कर दिया। गायत्री नाम की इस महिला ने बताया कि वह अपनी बेटी को डॉक्टर बनाना चाहती है, इसलिए दिनभर ई-रिक्शा चलाकर पैसे कमाती हैं। हालांकि इस काम में दिक्कत होती है, लेकिन वह पूरी ईमानदारी और मेहनत से जुटी हैं।

मध्य प्रदेश के भोपाल की रहने वाली हैं गायत्री

गायत्री ने बताया कि वह मूलरूप से मध्यप्रदेश के भोपाल जिले की रहने वाली हैं। उन्होंने पिता के घर रहते हुए अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। परिवारवालों ने शादी करा दी। शादी के बाद बेटी ने जन्म लिया। कुछ समय सब ठीक रहा, लेकिन एक दिन पति गायत्री और बेटी श्रेया को छोड़ कर चला गया। इसके बाद दोनों के सामने कमाने-खाने की समस्या खड़ी हो गई। गायत्री ने अपनी बेटी को बहन और जीजा के पास भेज दिया। [videopress L5w7K3De]

नौकरी में पैसा कम और मेहनत ज्यादा थी

इस दौरान गायत्री ने कई जगहों पर नौकरी की। कोई प्रोफेशनल स्किल न होने के कारण उन्हें कहीं भी 7 हजार रुपये से ज्यादा वेतन नहीं मिला। काम ज्यादा और पैसे कम होने से समस्या होने लगी। इसके बाद एक दिन गायत्री की बहन और जीजा ने कोई खुद का काम करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि तुम ड्राइविंग करो। कुछ दिन गायत्री ने ड्राइविंग की। इसके बाद 300 प्रतिदिन के हिसाब से ई-रिक्शा किराए पर लिया। [videopress fquANNSb]

मां की मेहनत को साकार करने लगी श्रेया

गायत्री ने कहा कि पहले तो उसे अजीब लगता था। महिला को रिक्शा चलाता देख लोग मुड़-मुड़ कर देखते थे, लेकिन गायत्री ने किसी भी अवसाद को खुद पर हावी नहीं होने दिया। वैसे गायत्री को ई-रिक्शा चलाते हुए अभी करीब एक सप्ताह ही हुआ है। गायत्री ने बताया कि उसकी बेटी श्रेया 11वीं में पढ़ती है। गायत्री का सपना है कि वह श्रेया को डॉक्टर बनाए। श्रेया का भी कहना है कि उसने अपनी मां को हमेशा संघर्ष करते हुए देखा है। अब वह मां का सपना साकार करेगी।


Topics:

---विज्ञापन---