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Exit Poll के दावे नतीजों में बदले तो UP में अखिलेश यादव की हार के ये होंगे 5 बड़े कारण

UP Lok Sabha Election Exit Poll 2024 : देश में लोकसभा चुनाव को लेकर एग्जिट पोल के आंकड़े सामने आ गए हैं। एक बार फिर एनडीए की सरकार बनती नजर आ रही है। अगर एग्जिट पोल के दावे नतीजों में बदले तो यूपी में अखिलेश यादव की हार के ये 5 बड़े कारण होंगे।

UP Lok Sabha Election Exit Poll 2024
UP Exit Poll 2024 : देश में किसकी सरकार बनेगी? इसे लेकर 4 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम आएंगे। इससे पहले एग्जिट पोल के आंकड़े सामने आ गए हैं, जिसमें एनडीए को पूर्ण बहुमत मिलता नजर आ रहा है। देश की निगाहें उत्तर प्रदेश पर टिकी हैं, जहां News24 टुडेज चाणक्या लोकसभा Analysis के अनुसार बीजेपी को 62 से 68 सीटें मिलने की उम्मीद हैं। कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ी समाजवादी पार्टी बुरी तरह से हार सकती है। इंडिया महागठबंधन के पाले में 10 से 16 सीटें आ सकती हैं। अगर एग्जिट पोल सही साबित हुए तो अखिलेश यादव की शिकस्त के ये 5 बड़े कारण होंगे। राम मंदिर यूपी में राम मंदिर सबसे बड़ा मुद्दा था, जिसने भाजपा के पक्ष में माहौल बनाया। राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में अखिलेश यादव नहीं शामिल हुए, जिससे सपा हिंदुओं से अलग होकर एक अलग पार्टी बन गई। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इसी का फायदा मिला। इसे लेकर भाजपाइयों ने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधा। कांग्रेस से भी कोई नेता राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में नहीं गया। यह भी पढ़ें : क्षेत्रीय दलों की जमीन पर खिलेगा कमल! दिल्ली-पंजाब समेत इन राज्यों में क्या कहते हैं Exit Poll के आंकड़े? बसपा के अकेले चुनाव लड़ने से नुकसान इंडिया गठबंधन को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की जिद भारी पड़ी। शुरू से वे बसपा को इंडिया गुट में शामिल करने के पक्ष में नहीं थे। अगर मायावती गठबंधन में शामिल हो जातीं तो आज एग्जिट पोल का आंकड़ा कुछ और होता। बसपा के साथ आने से यूपी में भाजपा और कमजोर होती और इंडिया गुट को ज्यादा से ज्यादा सीटें मिलतीं। देरी से जनता के सामने आए अखिलेश-राहुल यूपी में सपा और कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने का फैसला पहले हो गया था, लेकिन अखिलेश यादव और राहुल गांधी देरी से जनता के सामने आए। साथ ही दोनों पार्टियों के बीच शीट शेयरिंग का फॉर्मूला भी देरी हुआ। दोनों ने रैलियां भी बहुत कम कीं। ऐसे में वोटर नहीं समझ पाए कि कांग्रेस-सपा साथ चुनाव लड़ रही हैं। चुनाव से पहले सहयोगियों ने छोड़ा साथ लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सहयोगी दलों ने अखिलेश यादव का साथ छोड़ दिया। आरएलडी के जयंत चौधरी ने सपा से गठबंधन तोड़ दिया था। अपना दल कमेरावादी की नेता पल्लवी पटेल भी नाराज हो गई थीं। स्वामी प्रसाद मौर्या ने भी साथ छोड़ दिया। ओमप्रकाश राजभर, दारा सिंह चौहान ने दूरी बना ली थी। यह भी पढ़ें : Exit Poll पर भरोसा नहीं…एग्जिट पोल पर क्या कहता है पाकिस्तानी और विदेशी मीडिया? मुख्तार अंसारी भी बना कारण शुरुआत की राजनीति में अखिलेश यादव ने माफिया और दबंग नेताओं से दूरी बनाई। जब मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी तब अखिलेश ने साथ छोड़ दिया था। मुख्तार अंसारी की मौत होते ही वे उसके घर पहुंच गए और साथ ही उसके भाई अफजाल अंसारी को गाजीपुर से चुनावी मैदान में उतार दिया। इससे लोगों को एक मैसेज गया कि जहां योगी सरकार माफिया को साफ कर रही तो वहीं अखिलेश यादव सपोर्ट कर रहे हैं।


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