UP Local Bodies Election: उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग ने रविवार देर शाम यूपी निकाय चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है। दो चरणों में होने वाले निकाय चुनाव में पहला मतदान 4 मई को तो दूसरे चरण की वोटिंग 11 को होगी। इसके बाद 13 मई को नजीते घोषित किए जाएंगे। बता दें कि चुनाव आयोग की इस घोषणा के साथ राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है।
शुक्रवार को राज्य चुनाव आयोग ने शहरी स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर नोटिस जारी किया था। अधिसूचना में आयोग ने निकाय चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए खर्चे की सीमा भी तय कर दी थी।
उत्तर प्रदेश में ये है निकाय चुनावों की सीटें
जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश के 760 शहरी स्थानीय निकायों में 14,684 सीटों के लिए चुनाव होंगे। चुनाव 17 मेयर सीटों, 1,420 पार्षद सीटों, 199 नगर पालिका परिषद अध्यक्ष सीटों, 5,327 नगर पालिका परिषद सदस्य सीटों, 544 नगर पंचायत अध्यक्ष सीटों और 7,178 नगर पंचायत सदस्य सीटों के लिए होगा।
बताया गया है कि राज्यभर में 17 मेयर सीटों और 1,420 पार्षद सीटों पर मतदान के लिए ईवीएम का इस्तेमाल किया जाएगा। शेष सभी सीटों के लिए मतदान के लिए मतपत्रों का प्रयोग किया जाएगा।
इतने करोड़ मतदाता करेंगे मतदान
उत्तर प्रदेश में आगामी स्थानीय नगरीय निकाय चुनाव में 4.23 करोड़ से ज्यादा मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। राज्य चुनाव आयुक्त मनोज कुमार के अनुसार, 2023 में स्थानीय शहरी निकाय चुनावों के लिए शहरी मतदाताओं की कुल संख्या 4,32,31,827 है, जबकि वर्ष 2017 में यह संख्या 3,35,95,547 थी।
राज्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि मतदाता सूची पुनरीक्षण के बाद आयोग को प्राप्त अंतिम आंकड़ों के अनुसार इस बार कुल 96,36,280 नए मतदाता सूची में जोड़े गए हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्रों को नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में शामिल किया गया है।
इतने लाख नए मतदाता होंगे शामिल
उन्होंने स्पष्ट किया कि कुल नए मतदाताओं में से 21,23,268 पहले शहरी क्षेत्र में आने से पहले ग्राम पंचायतों के निवासी थे। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में 4,33,088 मतदाता पहली बार मतदान करेंगे। ये सभी 1 जनवरी 2023 को 18 वर्ष के हो गए हैं।
बता दें कि उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों में आरक्षण का मुद्दा उठा था। इसके मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। साथ ही प्रदेश सरकार की ओर से आबीसी आयोग का गठन करते हुए प्रदेश भर में नए सिरे से सर्वे कराया था। सरकार ने पांच सदस्यीय पैनल को इस सर्वे के बाद रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था। पैनल ने 10 मार्च को सर्वे के बाद 350 पन्नों की रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंप दी थी।
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