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आजम खान को राहत! हेट स्पीच केस में कोर्ट ने किया बरी, नहीं मिल पाए सबूत

यह मामला 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान का है. उस वक्त कांग्रेस नेता फैसल लाला ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी.

आजम खान अभी एक दूसरे मामले में जेल में बंद हैं.

समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को राहत मिली है. हेट स्पीच केस में कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है. रामपुर की MP/MLA कोर्ट ने सबूतों के अभाव की वजह से यह फैसला दिया है. साल 2019 में आजम खान पर भड़काऊ भाषण का आरोप लगाते हुए फैसल लाला ने यह मामला दर्ज करवाया था.

आजम खान पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने भड़काऊ भाषण देकर अधिकारियों के खिलाफ हिंसा भड़काने की कोशिश की थी. बता दें, आजम खान अभी जेल में बंद हैं. उन्हें 17 नवंबर 2025 को एक दूसरे मामले में सात साल की सजा सुनाई गई थी.

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यह भी पढ़ें : आजम खान पर स्पेशल कोर्ट का बड़ा फैसला, सेना के जवानों पर विवादित टिप्पणी के 8 साल पुराने केस में मिली राहत

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यह मामला 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान का है. उस वक्त आजम खान समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. कांग्रेस नेता फैसल लाला ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि इन्होंने भड़काऊ भाषण देकर अपने कार्यकर्ताओं को अधिकारियों के खिलाफ हिंसा के लिए भड़काया है. हालांकि, जब यह मामला कोर्ट में गया तो मामले से जुड़े सबूत नहीं दे पाए. इसके बाद कोर्ट ने उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.

यह भी पढ़ें : आजम खान के बेटे अब्दुल्ला की बढ़ीं मुश्किलें, दो पासपोर्ट मामले में रामपुर कोर्ट ने सुनाई 7 साल की सजा

इससे पहले 11 दिसंबर को भी उन्हें एक आठ साल पुराने मामले में बरी किया गया था. यह मामला सेना के जवानों पर विवादित टिप्पणी का था. इस मामले में भी कोर्ट ने सबूतों के अभाव के चलते उन्हें बरी किया था. यह मामला साल 2017 में हुई एक चुनावी सभा का था. उन पर यह मामला रामपुर के वर्तमान विधायक आकाश सक्सेना ने दर्ज करवाया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि चुनावी सभा में आजम खान ने सेना के जवानों के खिलाफ विवादित टिप्पणी की है.

इसके अलावा 7 नवंबर को लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में दर्ज 6 साल पुराने मानहानि के मामले में भी वह बरी हुए थे. मानहानि के इस मामले में एमपी एमएलए कोर्ट ने उन्हें बरी किया था. यह मामला 2019 में लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में दर्ज किया गया था. उनके खिलाफ साल 2019 में सरकारी लेटर पैड और मुहर का गलत इस्तेमाल कर दुश्मनी फैलाने, मानहानि करने का आरोप लगाया गया था.


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