Sahara Chief Subrata Roy Death News, लखनऊ (मनोज पांडेय): सहारा ग्रुप के मालिक सुब्रत रॉय का अंतिम संस्कार का अंतिम संस्कार गुरुवार को दोपहर बाद उत्तर प्रदेश के राजधानी नगर लखनऊ में होगा। उनका पार्थिव शरीर चार्टर्ड प्लेन से लखनऊ के अमौसी एयरपोर्ट लाया जा रहा है, जहां गोमतीनगर में विपुल खंड स्थित उनके आवास सहारा सिटी पहुंचेगा। गुरुवार को यहीं से दोपहर करीब 12 बजे उनकी अंतिम यात्रा निकाली जाएगी, जो शहर के अंबेडकर चौराहे, गांधी सेतु होते हुए 1090 चौराहे से बैकुंठ धाम पहुंचेगी। उधर, कारोबार जगत को हुई इस अपूरणीय क्षति पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई राजनैतिक हस्तियों ने शोक प्रकट किया है।
75 साल की उम्र में मुंबई में ली अंतिम सांस
बता दें कि मंगलवार देर रात सहारा ग्रुप के मालिक सुब्रत राय का 75 साल की उम्र में निधन हो गया। करीबी जनों के मुताबिक सुब्रत राय पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे और मुंबई के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। वहां मंगलवार देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली। कंपनी के एक बयान के अनुसार, रॉय का कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट के कारण निधन हुआ है। सुब्रत के परिवार में पत्नी स्वप्ना रॉय और दो बेटे सुशांतो रॉय और सीमांतो रॉय हैं।
सुब्रत रॉय के निधन के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत बिजनेस व राजनैतिक क्षेत्रों की कई बड़ी हस्तियों ने शोक प्रकट किया है। योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर अपने शोक संदेश में लिखा है, 'सहारा समूह के प्रमुख श्री सुब्रत रॉय जी का निधन अत्यंत दुखद है। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान तथा शोकाकुल परिजनों को यह अथाह दुख सहने की शक्ति दें। ॐ शांति!'।्र
जन्म से कारोबार तक कई राज्यों से जुड़ी हैं यादें
बता देना जरूरी है कि 10 जून 1948 को बिहार के अररिया में जन्मे सुब्रत राय ने शुरुआती शिक्षा कोलकाता में पूरी करने के बाद उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित एक सरकारी कॉलेज मैकेनिकल इंजीनियरिंग की और फिर यहीं से कारोबार शुरू कर दिया। रियल एस्टेट, फाइनेंस, मीडिया और हॉस्पिटेलिटी समेत कई क्षेत्रों में नाम कमा चुके भारत के प्रमुख बिजनेसमैन और सहारा इंडिया परिवार के फाउंडर सुब्रत राय को सहाराश्री के नाम से जाना जाता था।
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1976 में संघर्षरत चिटफंड कंपनी सहारा फाइनेंस का अधिग्रहण किया और 1978 तक उन्होंने इसे सहारा इंडिया परिवार में बदल दिया, जो आगे चलकर भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक बन गया। रॉय के नेतृत्व में सहारा ने कई बिजनेस का विस्तार किया। समूह ने 1992 में हिंदी भाषा का समाचार पत्र राष्ट्रीय सहारा लॉन्च किया। 1990 के दशक के अंत में पुणे के पास महत्वाकांक्षी एम्बी वैली सिटी परियोजना की भी शुरुआत की। फिर सहारा टीवी के साथ टेलीविजन क्षेत्र में प्रवेश किया। 2000 के दशक में सहारा ने लंदन के ग्रोसवेनर हाउस होटल और न्यूयॉर्क शहर के प्लाजा होटल जैसी प्रतिष्ठित संपत्तियों के अधिग्रहण के साथ अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं।
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रहना पड़ा जेल में भी
दूसरी ओर अपनी व्यावसायिक सफलताओं के बावजूद सुब्रत रॉय को कानूनी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सेबी के साथ एक विवाद के बाद अदालत में उपस्थित होने में विफल रहने के कारण उन्हें हिरासत में लेने का आदेश दिया। इसके कारण उन्हें लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। रॉय को लंबे समय तक तिहाड़ जेल में रहना पड़ा। हालांकि उन्हें पैरोल पर रिहा कर दिया गया।
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