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नोएडा में फ्लैटों की रजिस्ट्री में ये है सबसे बड़ी दिक्कत, आप भी जान लें

Noida Flat Buyers: नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बड़ी संख्या में ऐसे निवेशक हैं जिन्होंने फ्लैट तो खरीद लिया है, लेकिन उनकी रजिस्ट्री नहीं हो रही है। यही वजह है कि वह फ्लैट नहीं बेच पा रहे हैं और बिल्डर पूरी तरह मनमानी करता है, जिससे लोग परेशान हैं। पिछले दिनों अमिताभ कांत की अध्यक्षता […]

Noida Flat Buyers
Noida Flat Buyers: नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बड़ी संख्या में ऐसे निवेशक हैं जिन्होंने फ्लैट तो खरीद लिया है, लेकिन उनकी रजिस्ट्री नहीं हो रही है। यही वजह है कि वह फ्लैट नहीं बेच पा रहे हैं और बिल्डर पूरी तरह मनमानी करता है, जिससे लोग परेशान हैं। पिछले दिनों अमिताभ कांत की अध्यक्षता वाली 14 सदस्यीय विशेष समिति ने रुकी हुई रियल एस्टेट परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के लिए कई अहम सिफारिश की है। इसमें एक अहम सिफारिश यही है कि निर्मित फ्लैटों की रजिस्ट्री करना शामिल है। इस पॉलिसी में बदलाव के तहत बिल्डर को छूट का फायदा तभी मिल पाएगा जब वह पेनल्टी चार्ज और अन्य बकाये का 25 प्रतिशत आवेदन के 60 दिन के भीतर जमा करेगा।

बने फ्लैटों की क्यों रुकी रजिस्ट्री?

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में लाखों की संख्या में ऐसे फ्लैट हैं, जिनमें लोग बिना रजिस्ट्री के रह रहे हैं। निवेशकों ने ऐसे बिल्डर्स से फ्लैट खरीदे हैं, जिन पर सरकारी प्राधिकरण बकाया है। ऐसे में इन फ्लैट्स की रजिस्ट्री रोक दी गई है। एक अनुमान के अनुसार, बिल्डर्स को नोएडा प्राधिकरण को ही करीब 45,000 करोड़ रुपये चुकाने हैं। कमोबेश ऐसी ही स्थिति ग्रेटर नोएडा की भी है। आम लोगों और बिल्डर्स की गुहार के बाद सरकार ने इस मामले में अपनी सिफारिश देने के लिए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमिताभ कांत की अगुआई में एक कमिटी गठित की थी। इसी कमेटी ने शर्तों के साथ इन फ्लैटों की रजिस्ट्री की सिफारिश की है।

यूपी सरकार से मंजूरी मिलना बाकी

अमिताभ कांत की अध्यक्षता में बने ड्राफ्ट में आईबीसी (इनसॉल्वेंसी बैंक्ररप्सी) कोड में बदलाव की सिफारिश की गई है। इसमें कहा गया है कि बिल्डर्स की जो बिल्डिंग दिवालिया प्रक्रिया में जा चुकी है उसके लिए रजिस्ट्री तुरंत शुरू की जाए। इसमें अथॉरिटी का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो नोएडा के ही करीब 1 लाख घर खरीदारों को राहत मिलेगी। कुछ ऐसी ही स्थिति ग्रेटर नोएडा की है।

बिल्डर को छूट के लिए शर्त

पॉलिसी में बदलाव के तहत बिल्डर को छूट का फायदा तभी मिलेगा जब वह पेनल्टी चार्ज और अन्य बकाये का 25 फीसदी आवेदन के 60 दिन के अंदर जमा करेगा। इसके अलावा बाकी हिस्सा अगले 3 साल में जमा करेगा। इससे अथॉरिटी को उसका मूल बकाया तुरंत मिलने की उम्मीद है। इससे मामले से संबंधित कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातों में से एक यह है कि यदि कोई बिल्डर प्रोजेक्ट पूरा करने की स्थिति में नहीं है तो कुछ शर्तों के साथ वह उसे सरेंडर कर सकता है और रेरा उसे टेकओवर कर लेगा। यह भी कहा गया है कि बिल्डर किसी भी खरीदार से कोई अतिरिक्त शुल्क अथवा पेनाल्टी नहीं वसूल सकेगा।


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