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सड़क पर पिता बनाते हैं पंचर, एक कमरे का घर, परिवार के तीन बच्चों का हुआ हॉकी के लिए चयन

लखनऊ: लखनऊ के एक परिवार के तीन बच्चों ने गरीबी में जी कर अपने माता-पिता नाम रोशन किया है। तीन भाई-बहनों का चयन राज्य के एक बड़े स्पोर्ट्स कॉलेज में हुआ है। तीनों हॉकी प्लेयर हैं और देश के लिए खेलना चाहते हैं। इनके पिता पंचर बनाते हैं, मां की एक छोटी सी दुकान है। […]

लखनऊ: लखनऊ के एक परिवार के तीन बच्चों ने गरीबी में जी कर अपने माता-पिता नाम रोशन किया है। तीन भाई-बहनों का चयन राज्य के एक बड़े स्पोर्ट्स कॉलेज में हुआ है। तीनों हॉकी प्लेयर हैं और देश के लिए खेलना चाहते हैं। इनके पिता पंचर बनाते हैं, मां की एक छोटी सी दुकान है। घर एक ही कमरे का है जहां ये सभी रहते हैं। लेकिन घर की दीवरें मेंडल से पटी है।

लोग मारते थे ताने

मुश्किल हालात में भी इन बच्चों ने सपना देखा। सौमिका धानुका (13) ऋतिक धानुका (10) और करण धानुका (12) के है। सौमिका धानुक ने बताया कि उनके माता-पिता को लोग कहते थे कि लड़की है, इसे हॉकी में मत भेजो, पढ़ाई भी मत करने दो, घर पर रखो और शादी कर दो। हम पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन खेल भी हमारे जीवन का हिस्सा है। सौमिका के भाई ऋतिक धानुक बताते है कि वह बचपन से इसकी प्रैक्टिस कर रहे थे। हॉकी खेलना उनको बहुत अच्छा लगता है। सपना देश के लिए खेलने का है। उनका लखनऊ के कुर्सी रोड स्थित गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में चयन हो गया है।

पंचर बना कर बच्चों को पढ़ाया लिखाया

तीनों बच्चों का कहना है कि हमारे माता-पिता ने हमारा हमेशा साथ दिया। अब हम अपने माता-पिता को इस गरीबी से बाहर निकलना चाहते हैं। पिता भोला कुमार ने कहा कि उनके तीसरे बेटे करण का चयन झांसी के मेजर ध्यान चंद स्पोर्ट्स अकैडमी में हुआ है। तीसरा बेटा छात्रावास जा चुका है। भोला कुमार बताते हैं कि वो पंचर बनाते हैं। इसी से घर चलता है और बच्चों की पढ़ाई-लिखाई।


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