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‘फातिहा पढ़ने लायक भी नहीं छोड़ेंगे’, विधानसभा में किस पर भड़के CM योगी?

सीएम योगी ने बताया कि इस मामले में अब तक 77 आरोपियों को पकड़ा जा चुका है. इस मामले के असली दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. प्रशासन की कार्रवाई लगातार चल रही है.

Cough Syrup Case: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को विधानसभा सत्र के दौरान कुछ ऐसा कहा, जो अब सुर्खियों में आ गया है. सीएम योगी ने विपक्ष के आरोपों पर कहा कि 'आपको फातिहा पढ़ने लायक भी नहीं छोड़ेंगे'. विपक्ष पर करारा हमला करने के लिए जानें जाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर सदन में अपने भाषण से विरोधियों को चुप करा दिया. उन्होंने कफ सिरप केस को लेकर विधानसभा में समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला किया, और सदन को दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया.

सीएम योगी ने कफ सिरप मामले को लेकर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सरकार की कार्रवाई जब आगे बढ़ेगी तो बहुत सारे लोग फातिहा पढ़ने जाएंगे, लेकिन हम ऐसा एक्शन लेंगे कि किसी को फातिहा पढ़ने लायक भी नहीं छोड़ेंगे. सीएम योगी ने बताया कि इस मामले में अब तक 77 आरोपियों को पकड़ा जा चुका है. इस मामले के असली दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. प्रशासन की कार्रवाई लगातार चल रही है, इस दिशा में प्रदेश के आईजी लॉ एंड ऑर्डर की अध्यक्षता में एक एसआईटी भी गठित की गई है.

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मुख्यमंत्री ने आगे कहा, 'कोई भी बच नहीं पायेगा. मैं समाजवादी पार्टी की छटपटाहट समझ सकता हूं. जब हमारी सरकार की कार्यवाही अंत तक पहुंचेगी तब तक समाजवादी वाले वहां फातिहा पढ़ने जायेंगे, लेकिन मैं आपको फातिहा पढ़ने लायक भी नहीं छोडूंगा.'

वंदेमातरम पर भी बोले सीएम योगी


देश की संसद के बाद यूपी के विधानसभा में भी वंदेमातरम पर लेकर बहस हुई. सीएम योगी ने वन्देमातरम पर बोलते हुए कहा कि कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति की, जिन्ना जबतक कांग्रेस में थे. वंदेमातरम कोई निर्णायक विवाद नहीं था, कांग्रेस छोड़ते ही जिन्ना ने इसे मुस्लिम लीग का औजार बनाया और गीत को जानबूझकर सांप्रदायिक रंग दिया. गीत वही रहा, लेकिन एजेंडा बदल गया.

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उन्होंने आगे कहा, '15 अक्टूबर 1937 को इसी लखनऊ से मो. अली जिन्ना ने वंदेमातरम के विरुद्ध नारा बुलंद किया और उस समय कांग्रेस अध्यक्ष पंडित नेहरू थे. 20 अक्टूबर 1937 को नेहरू जी ने सुभाष चंद्र बोस जी को पत्र लिखा और कहा इसकी पृष्टभूमि मुस्लिमों को असहज कर रही है. 26 अक्टूबर 1937 को कांग्रेस ने गीत के अंश को हटाने का निर्णय किया, इसको सद्भाव कहा गया, जबकि वास्तविकता में यह तुष्टिकरण की पहली आधिकारिक मिसाल थी.'


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