Seat Sharing Issue between Samajwadi Party and Congress :अशोक कुमार तिवारी (लखनऊ) : लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है, लेकिन अभी तक उत्तर प्रदेश में दो प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच सीट बंटवारा तय नहीं हो पा रहा है। इसकी बड़ी वजह ये मानी जा रही है की एक तरफ समाजवादी पार्टी सीट बंटवारे में मेजर शेयर अपने पास रखना चाहती है तो दूसरी तरफ कांग्रेस भी प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।
फतेहपुर सीकरी से पिछला चुनाव हारे थे राज बब्बर
उत्तर प्रदेश में जिस सीट की सबसे ज्यादा चर्चा है वह है लखनऊ की। कांग्रेस यहां से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर को चुनाव लड़ाना चाहती है। लेकिन सपा विधायक और पूर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा पहले ही यहां से अपना प्रचार शुरू कर चुके हैं। अभिनेता से नेता बने राज बब्बर ने पिछला लोकसभा चुनाव फतेहपुर सीकरी से लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा के राजकुमार चाहर ने यहां से जीत हासिल की थी। राज बब्बर तब तीसरे स्थान पर रहे थे। बसपा प्रत्याशी श्रीभगवान शर्मा दूसरे स्थान पर रहे थे।
2019 में लखनऊ सीट पर तीसरे नंबर पर थी कांग्रेस
वहीं, 2019 के चुनाव में लखनऊ लोकसभा सीट की बात करें तो भाजपा के राजनाथ सिंह ने यहां से जीत दर्ज की थी। दूसरे स्थान पर सपा प्रत्याशी पूनम सिन्हा रही थीं और तीसरे स्थान पर कांग्रेस के आचार्य प्रमोद कृष्णन रहे थे। इस गणित को देखा जाए तो लखनऊ की सीट समाजवादी पार्टी के खाते में आनी चाहिए लेकिन कांग्रेस यहां से राज बब्बर पर दांव आजमाना चाहती है। अब देखना यह है कि यहां पर कांग्रेस अपनी बात मनवा पाएगी या उसे सपा से समझौता करना पड़ेगा।
गठबंधन के सूत्रों के मुताबिक सपा प्रमुख अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को 10 से 12 सीटें देना चाहते हैं। लेकिन कांग्रेस की महत्वाकांक्षा इससे कहीं ज्यादा है। जानकारी के मुताबिक अभी तक बातचीत के हिसाब से कांग्रेस ने रायबरेली सीट के अलावा उन सीटों की भी मांग की है जहां पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नंबर दो पर थी।
इन सीटों पर नहीं बन पा रही दोनों दलों के बीच सहमति
पिछले चुनाव में प्रदेश की अमेठी, कानपुर, फतेहपुर सीकरी ऐसी प्रमुख सीटें थी जहां कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी। इसके अलावा इस बार कांग्रेस प्रदेश में गठबंधन के तहत लखनऊ, बरेली, उन्नाव, सहारनपुर, लखीमपुर खीरी और फर्रुखाबाद जैसी सीटों की मांग भी कर रही है जिन पर दोनों दलों के बीच फिलहाल सहमति नहीं बन पा रही है। कांग्रेस की ओर से ये तर्क भी दिया जा रहा है कि साल 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने बलबूते पर 21 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
उत्तराखंड की दो सीटें मांग रही सपा, कांग्रेस पक्ष में नहीं
कांग्रेस का कहना है कि इनमें से कई सीटों पर उसकी स्थिति आज भी मजबूत है लिहाजा उनमें से भी कुछ सीटें तो कांग्रेस को मिलनी ही चाहिए। लेकिन सूत्रों के अनुसार समाजवादी पार्टी का तर्क है कि अगर कांग्रेस इतनी सीटों की मांग कर रही है तो उसे अपने उम्मीदवारों के बारे में भी बताना चाहिए। खुद समाजवादी पार्टी ने उत्तराखंड में कांग्रेस से हरिद्वार और नैनीताल सीट मांगी है लेकिन कांग्रेस वहां पर सपा को कोई भी सीट नहीं देना चाहती है।
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