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फर्जी दस्तावेज, अवैध स्टॉक… कोडीन कफ सिरप का ऐसे दुरुप्रयोग कर रहे थे माफिया, जांच में आया सामने

यूपी में कोडीन कफ सिरप पर जांच पूरी हो गई है। जांच में सामने आया है कि किस तरफ से माफियाओं ने सिरप का दुरुपयोग किया। सीएम योगी ने माफियाओं पर मुकदमा दर्ज किया है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट।

यूपी में कोडीन कफ सिरप विवाद राजनीतिक मुद्दा बन गया। विपक्ष लगातार योगी सरकार पर निशाना साधा रहा है। हालांकि यूपी में अभी तक कोडीन कफ सिरप से किसी की मौत नहीं हुई है। प्रदेश सरकार ने दावा करते हुए कहा कि कुछ राज्यों में जहरीले कफ सिरप से जुड़ी घटनाओं के बाद यूपी में कोडीन युक्त कफ सिरप को लेकर भ्रम की स्थिति बनाई जा रही है।

सीएम योगी ने विशेष जांच दल का गठन किया था। इसकी रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जांच एजेंसी ने पाया कि माफिया गैंग्स फर्जी दस्तावेजों के सहारे भारी मात्रा में कफ सिरप एकत्र करते थे। उसे नशे के उ‌द्देश्य से खुले बाजार में बिना प्रिस्क्रिप्शन बेचने के लिए डाइवर्ट करते थे। इस अवैध क्रम में सुपर स्टॉकिस्ट, थोक विक्रेता और रिटेलर तक की भूमिका सामने आई है।

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यहां तक कि कुछ मामलों में अंतर्राज्यीय स्तर पर इस नेटवर्क की सक्रियता भी पाई गई है। इसी नेक्सस को तोड़ने के लिए राज्य सरकार ने विशेष जांच दल का गठन किया। एक साथ कई जिलों में छापेमारी कराई और दोषियों के विरुद्ध एनडीपीएस एक्ट के तहत सख्त मुकदमें दर्ज किए गए। टीम ने अवैध स्टॉक जब्त किया। गोदाम सील किया और दवा आपूर्ति प्रणाली की जांच शुरू की। इसके साथ ही, शेड्यूल एच श्रेणी की अन्य दवाओं जैसे सेडेटिव और स्लीपिंग पिल्स की बिना प्रिस्क्रिप्शन बिक्री रोकने के लिए भी निरंतर कार्रवाई की जा रही है।

योगी सरकार का मानना है कि प्रदेश में न तो कोडीन युक्त कफ सिरप से किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई है और न ही किसी प्रकार की कफ सिरप या नशीली दवाओं का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है। इसके बावजूद, दवाओं के अवैध डाइवर्जन और बिना चिकित्सकीय पर्ची बिक्री के माध्यम से नशे का कारोबार करने वाले संगठित नेटवर्क के खिलाफ सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने अब तक की सबसे कठोर और समन्वित कार्रवाई शुरू की है। सरकार ने साफ किया है कि कफ सिरप एक वैध दवा है, लेकिन उसका दुरुपयोग और गैरकानूनी बिक्री अपराध है।

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