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उत्तर प्रदेश में ‘आलू’ निकाल सकता है नेताओं का ‘दम’, बंपर पैदावार से टेंशन में किसान

Potato Yield in UP: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के लिए एक खुशखबरी अब समस्या बन गई है। खुशखबरी है कि इस बार यूपी में आलू का बंपर पैदावार (Potato Yield in UP) हुई है। वहीं संकट ये खड़ा हो गया है कि आलू को रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज में जगह तक नहीं है, इसलिए […]

Potato Yield in UP: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के लिए एक खुशखबरी अब समस्या बन गई है। खुशखबरी है कि इस बार यूपी में आलू का बंपर पैदावार (Potato Yield in UP) हुई है। वहीं संकट ये खड़ा हो गया है कि आलू को रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज में जगह तक नहीं है, इसलिए किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है। प्रदेश सरकार की ओर से सात जिलों में आलू खरीदने के लिए व्यवस्था की गई है। सरकार ने आलू का 650 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से रेट तय किया है। इस रेट के बाद किसानों में नाराजगी है। किसान अपने-अपने इलाके के जन प्रतिनिधियों (सांसद-विधयकों) से नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं। वहीं आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए सरकार भी टेंशन में है।

सपा ने दिया नारा, यूपी में अबकी बार, आलू बदलेगा सरकार

किसानों की मानें तो सरकार की ओर से आलू का जो रेट तय किया है, वह काफी कम है। आलू की पैदावार लागत ही नौ से एक हजार रुपये प्रति क्विंटल के बीच है। ऐसे में किसानों का कहना है कि लागत से भी कम दाम पर आलू कैसे बेच दें। इस मुद्दों को विपक्ष की ओर से लगातार उठाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में विपक्ष यानी सपा ने नारा भी दिया है। यूपी में अबकी बार, आलू बदलेगा सरकार...।

यूपी में 242 लाख मीट्रिक टन हुई है आलू की पैदावार

जानकारी के मुताबिक इस बार पूरे उत्तर प्रदेश में 242 लाख मीट्रिक टन आलू की पैदावार हुई है। जानकारों का कहना है कि इस पैदावार ने कई सालों का रिकॉर्ड भी तोड़ा है, लेकिन ये रिकॉर्ड अब समस्या बनता जा रहा है। साथ ही बता दें कि देशभर में होने वाली आलू की पैदावार का करीब 35 फीसदी हिस्सा उत्तर प्रदेश से ही आता है। मुख्य रूप से आगरा, एटा, कासगंज, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, कानपुर, हरदोई, उन्नाव, इटावा, अलीगढ़, कन्नौज, बाराबंकी, फिरोजाबाद और मथुरा में आलू पैदा होता है।

विपक्ष ने सदन में उठाया था आलू किसानों का मुद्दा

हाल ही में उत्तर प्रदेश विधानसभा में सत्र के दौरान विपक्ष यानी समाजवादी पार्टी की ओर से आलू का मुद्दा उठाया गया था। सरकार पर आलू किसानों की अनदेखी का आरोप भी लगाया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसके बाद सरकार ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई, जो सुझावों के आधार पर किसानों से आलू की खरीद करेगी। सरकार की ओर से कहा गया था कि वह आलू का विदेशों में निर्यात करेगी।

कम से कम 1500 रुपये हो समर्थन मूल्य

आगरा में काफी तादात में आलू होता है। यहां के कई बड़े किसान सीधे तौर पर विदेशों के लिए भी आलू की सप्लाई करते हैं। आगरा के रामनगर में आलू किसान विपिन शर्मा ने बताया कि उनके पास करीब 48 बीघा खेत है। बंटाई पर लेने के बाद उन्होंने इस बार करीब 60 बीघा खेत में आलू किया था। पैदावार इस बार काफी अच्छी है। 55 क्विंटल आलू हुआ है। विपिन ने बताया कि इस बार 1000 से 1200 रुपये तक प्रति क्विंटल आलू की लागत (बुआई से लेकर कोल्ड स्टोरेज तक) आई है। सरकार की ओर से तय किया गया मूल्य आधे से भी कम है। सरकार को कम से कम 1500 रुपये क्विंटल का रेट तय करना चाहिए।

कोल्ड स्टोरेज में नहीं है आलू के लिए जगह

दूसरी और आलू किसान बिल्लो सिंह चौहान निवासी सैमरा, आलू किसान हरिओम जुरैल निवासी पैंतखेड़ा, आलू किसान यशपाल जुरैल निवासी खंदौली, आलू किसान अमित चौधरी निवासी गोविंदपुर, आलू किसान चौधरी शमशेर सिंह निवासी कंजौली ने भी अपने-अपने खेतों में आलू की फसल की थी। पैदावार काफी अच्छी हुई है। लेकिन अब इस पैदावार पर दोहरी समस्या आ खड़ी हुई है। पहला, कोल्ड स्टोरेज में जगह नहीं, जबकि दूसरा सरकार ने समर्थन मूल्य काफी कम रखा है।

सरकार पर किसानों ने लगाए ये आरोप

आलू किसानों का आक्रोश अब सरकार और अपने अपने जन प्रतिनिधियों के प्रति बढ़ता जा रहा है। किसानों का कहना है कि कोल्डस्टोरेज मालिक मनमानी कर रहे हैं, जबकि सरकार ने समर्थन मूल्य कम रख कर उनका उपहास उड़ाया है। आलू के बड़े किसान लगातार अपने-अपने इलाकों के जन प्रतिनिधियों से संपर्क कर रहे हैं।

भाजपा के पूर्व विधायक बोले, सीएम से मुलाकात करेंगे

एक स्थानीय मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि आगरा में भाजपा के पूर्व विधायक राम प्रताप सिंह से आलू किसानों ने मुलाकात की थी। इसके बाद भाजपा के पूर्व विधायक ने किसानों से कहा है कि आलू का समर्थन मूल्य कम से कम 15 सौ रुपये रखा जाए। इसके लिए पूर्व विधायक जल्द ही सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करेंगे। उत्तर प्रदेश की खबरों के लिए यहां क्लिक करेंः-


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