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Exclusive: क्या अखिलेश यादव से सच में नाराज हैं आजम खान? जेल से निकलने के बाद पहले Interview में क्या बोले सपा नेता

Azam Khan Exclusive Interview: अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर आजम खान ने कहा कि लोग क्यों रिश्वत लेते है? ताकि अपनी जिंदगी को ऐशो आराम से जी सकें. मैं गली में रहता हूं, मेरे कमरों में धूप नहीं आती, मेरे कमरों में हवा नहीं आती, बरसात के दिनों में मेरे घर में ढाई-ढाई फीट पानी भरा रहता है और आज भी ऐसी ही स्थिति है. पचास साल की राजनीति के दौरान लखनऊ में एक कोठरी अपनी नहीं बना सका.

Azam Khan Exclusive Interview: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने जेल से निकलने के बाद न्यूज 24 से बात करते हुए पहली बार खुलकर अपनी बात सामने रखी है. इस दौरान उनसे न्यूज 24 के एग्जीक्यूटिव एडिटर राजीव रंजन ने कई तीखे सवाल किए गए, जिनका आजम खान ने पूरी शालीनता से सभी सवालों का जवाब दिया. आजम खान ने कहा कि "अगर उनके द्वारा किसी पर भी एक भी ज्यादती साबित हो जाए, तो मुझ पर लगे सभी ज्यादतियों के आरोपों की जिम्मेदारी ले लूंगा, उन्होंने कहा कि मैं अपने मालिक को हाजिर नाजिर मानकर कहता हूं कि अगर मेरी कलम से धर्म या जाति के नाम पर कहीं ज्यादती हुई हो, तो मैं माफ करने के काबिल नहीं हूं. मैं जुल्म कर ही नहीं सकता".

मेरे घर में आज भी ढाई-ढाई फीट पानी भरा रहता है

अपने उपर लगे आरोपों के सवाल पर बोलते हुए कहा कि आजम खान ने कहा कि लोग क्यों रिश्वत लेते है, ताकि अपनी जिंदगी को ऐशो आराम से जी सकें. मैं गली में रहता हूं, मेरे कमरों में धूप नहीं आती, मेरे कमरों में हवा नहीं आती, बरसात के दिनों में मेरे घर में ढाई-ढाई फीट पानी भरा रहता है और आज भी ऐसी ही स्थिति है. पचास साल की राजनीति के दौरान लखनऊ में एक कोठरी अपनी नहीं बना सका. मेरे घर ईडी रेड हुई, आईटी रेड हुई सीबीआई जांच हुई, पूरी दुनिया में नामी-बेनामी नाम पर एक पैसे का, एक इंच जमीन का गुनहगार नहीं हूं. जिन जमीनों का मुझ पर आरोप लगा है. उन जमीनों पर लोगों ने कब्जा किया था. मेरे ही मजहब के लोग थे मेरी जात के लोग थे. जब वो मेरे पास आए तो उनसे कहा कि अगर तुमने यह जमीनें ली हैं तो इन्हें वापस कर दो.

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अखिलेश यादव के सवाल पर बोले- "मैने कभी नहीं कहा कि मेरी इज्जत नहीं हुई"

इस दौरान उन्होंने सपा मुखिया अखिलेश यादव पर बात करते हुए कहा कि 'मैने ये कभी नहीं कहा कि मेरी इज्जत में कभी कोई कमी रह गई. लेकिन ताली एक हाथ से कभी नहीं बजती. ताली दोनों हाथों से बजती है. हमारा भी तो कुछ अच्छा रहा होगा या हम बुरे ही रहे. हमने तो एक बार भी शिकायत नहीं की, एक बार भी नहीं कहा कि हमारे लिए ये हुआ और ये नहीं हुआ. हम जानते है कि हालत क्या हैं और क्या हो सकता है और क्या नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि फैसले कयादत के होने चाहिए, पीछे चलने वालों के नहीं.

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'गृहमंत्री को बताना चाहिए कि उन पर कितने मुकदमे दर्ज हुए'

गृहमंत्री अमित शाह के एक बयान को लेकर उन्होंने कहा कि जो भी बात हो पूरी होनी चाहिए. आधा बोला गया सच बहुत खतरनाक होता है. गृहमंत्री को यह भी बताना चाहिए कि उन पर कितने मुकदमें दर्ज हुए थे. यदि एक-दो होते तो मैं भी बरी हो जाता. 114 मुकदमें मुझ पर, 85 मुकदमें मेरी पत्नी पर, 50 मुकदमें मेरे बेटे पर, मेरी बहनों और मेरे भाई पर मेरी मां के अलावा इस शहर के हजारों लोगों पर दर्ज किए गए. ऐसा तो उनके साथ नहीं हुआ होगा, अगर उनके साथ भी ऐसा हुआ होता तो वो आज भी जेल से बाहर नहीं आते.

लोग याद तो करेंगे कि इस शख्स के साथ कितना अन्याय हुआ था

जौहर यूनिवसिर्टी को बनाने का सपना ही क्या उनके लिए कब्रगाह बन गया' इस सवाल का जवाब देते हुए आजम खान ने कहा कि 'देखिए कब्र में तो जाना ही है. बदनाम होकर चला जाउं या गुलफाम बनकर चला जाउं. जाना तो है, तो फिर क्यों गुमनाम होकर जाउं. लोग याद तो करेंगे कि इस शख्स के साथ कितना अन्याय हुआ था. उन्होंने कहा कि मैने जो स्कूल बनाए थे उनमें पढ़ने वाले बच्चों के नंबर अच्छे आते थे और उसकी फीस किसी प्राइमरी स्कूल से ज्यादा नहीं होती थी. मैने अपना घर तो अच्छा नहीं बनाया, लेकर अपनी कब्र बहुत अच्छी बनाई है. सन 1980 में जब मैं विधायक बना उससे पहले रामपुर में एक भी मकान पक्का नहीं था, ना नाले थे, ना सड़कें थी.

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