उत्तर प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद दोनों सदनों से पास हुआ उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट विधेयक, 2025 राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद अब एक कानून बन गया है. प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे सोमवार को विधानसभा और विधानपरिषद के दोनों सदनों में इस बारे में जानकारी देंगे. श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट विधेयक पर राज्यपाल की मुहर लगने के बाद अब मंदिर के प्रबंधन से एक नया वैधानिक ढांचा तैयार हो गया है जो मंदिर की बेहतरी के लिए काम आएगा. इसका मकसद मंदिर आने वाले भक्तों के लिए बेहतर प्रशासन और सुविधाएं मुहैया करवाना है.
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ट्रस्ट में 18 सदस्य होंगे शामिल
श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट विधेयक को मंजूरी मिलने पर यूपी सरकार ने ये साफ किया है कि पुराने वक्त से चले आ रहे स्वामी हरिदास के रीति रिवाज, कार्यक्रम, त्योहार और अनुष्ठान बिना किसी रुकावट के जारी रहेंगे. मंदिर को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक ट्रस्ट बनाया जाएगा, जो दर्शन के इंतजाम से लेकर पुजारियों की नियुक्ति तक सारे फैसले लेगा. मंदिर के ट्रस्ट में कुल 18 सदस्यों को शामिल किया जाएगा, जिसमें से 11 मनोनीत होंगे और 7 पदाधिकारी होंगे . वैष्णव परंपराओं, संप्रदायों और पीठों से 3 सदस्य मनोनीत होंगे, जिनमें साधु संत, गुरू, आचार्य शामिल हो सकते हैं. गोस्वामी परंपरा से स्वामी हरिदास के दो वंशज भी इसके मेंबर बनेंगे.
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क्या है श्री बांके बिहारी मंदिर कानून?
चुने गए सदस्यों का कार्यकाल तीन साल का होगा. पदाधिकारियों में मथुरा के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (Senior Superintendent of Police) और यूपी सरकार के नोमिनेटिड प्रतिनिधि शामिल होंगे. अगर कोई पदाधिकारी दूसरे धर्म का हो या हिंदू धर्म में विश्वास ना रखने वाला हुआ तो उसकी जगह पर जूनियर ऑफिसर को चुना जाएगा. हर तीन महीने में ट्रस्ट की बैठक होगी, जिसके बारे में 15 दिन पहले बताना होगा. इस कानून के मुताबिक बांके बिहारी मंदिर में कोई भी चढ़ावा, दान और चल अचल संपत्तियां, मंदिर में स्थापित विग्रह, मंदिर परिसर, परिक्रमा क्षेत्र में देवी देवताओं पर होने वाला चढ़ावा, पूजा पाठ, धार्मिक कार्यक्रमों के लिए दी गई राशि आदि सब मंदिर की धरोहर माने जाएंगे.
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