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वह गुफा, जहां भगवान राम ने वनवास के बिताए 11 साल; गुप्त गोदावरी का भी है उद्गम स्थल

Ram Mandir Inauguration Chitrakoot Dham: भगवान श्रीराम ने भाई लक्ष्मण और माता सीता के साथ वनवास के साढ़े 11 साल एक गुफा में बिताए थे। इसी गुफा में गुप्त गोदावरी का उद्गम स्थल भी है। यह गुफा क्या आज भी है, यदि हां तो कहां पर है। आइए, जानते हैं...

भगवान राम ने इस गुफा में बिताए वनवास के 11 साल
Ram Mandir Inauguration Chitrakoot Dham: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का 22 जनवरी को उद्घाटन होने जा रहा है। इसी दिन रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसे लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। वे पिता की आज्ञा से 14 साल तक भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ वन में रहे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रभु श्रीराम ने 11 साल तक एक गुफा में निवास किया था। वह गुफा कहां पर है, क्या वह अब भी है, आइए इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं.. चित्रकूट में स्थित है गुफा उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले का कुछ हिस्सा मध्य प्रदेश में पड़ता है। इसी हिस्से में यह गुफा स्थित है। बताया जाता है कि जब भगवान राम को वनवास हुआ था तो उन्होंने साढ़े 11 साल इसी गुफा में बिताए थे। यहीं पर गुप्त गोदावरी नदी का उद्गम स्थल भी है। गुफा के अंदर से गुप्त गोदावरी नदी बहती है। हालांकि, यह आज तक पता नहीं चल पाया है कि यह जल आता कहां से है और जाता कहां है। गुफा के अंदर है गुप्त गोदावरी का उद्गम स्थल गुफा के अंदर ही राम कुंड और लक्ष्मण कुंड है। बताया जाता है कि यहीं पर भगवान राम स्नान करने आते थे। गुफा के अंदर ही गुप्त गोदावरी का उद्गम स्थल और सीता कुंड भी है। गुफा में प्रवेश करने के बाद जैसे-जैसे आप अंदर जाएंगे जलस्तर बढ़ता जाएगा। गुप्त गोदावरी के पुजारी ने बताया कि मां गोदावरी नासिक, पंचवटी से भगवान राम से मिलने यहां पर आई थीं। वह यहां से 100 कदम की दूर पर चलकर लुप्त हो जाती हैं, इसीलिए इसे गुप्त गोदावरी कहा जाता है। राम दरबार और सीताकुंड  गुप्त गोदावरी के आगे राम दरबार है। मान्यता है कि यहीं पर भगवान राम ऋषि मुनियों के साथ मिलते थे और उनकी समस्याओं का समाधान करते थे। मान्यता है कि जब पंचवटी से माता सीता का अपहरण हुआ था तो पूरी रणनीति इसी राम दरबार पर बनी थी। राम दरबार के आगे सीताकुंड है। इसी कुंड में माता सीता स्नान करती थीं। सीताकुंड में पानी कभी ओवरफ्लो नहीं होता, जबकि यहां पर पानी लगातार आता है और कुंड से बाहर पानी निकलने का कोई रास्ता भी नहीं है। बताया जाता है कि एक बार जब माता सीता इस कुंड में स्नान कर रहीं थी, उसी समय मयंक नाम का एक राक्षस आया और सीता माता के दिवय आभूषण को लेकर भागने लगा। जब लक्ष्मण जी ने उसे देखा तो शब्द भेदी बाण चलाकर उसे श्राप दिया कि तुम पाषाण के हो जाओ। जब राक्षस पाषाण का होने लगा तो उसने प्रभु राम से प्रार्थना की कि मैं कलियुग में क्या खाकर जिंदा रहूंगा। इस पर भगवान राम ने उसे वरदान देते हुए कहा कि तुम पत्थर की शिला तो रहोगे, लेकिन तुम्हारा जो दर्शन करने आएगा, तुम उसके मानसिक पापों को खाना। वही तुम्हारा भोजना होगा। इसके बाद लक्ष्मण जी ने सीता जी के एक बाल से शिला को लटका दिया, जो आज भी है। यह भी पढ़ें: श्यामल रंग, डेढ़ टन वजन…Ram Mandir ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय से जानिए कैसी है रामलला की प्रतिमा? धनुष कुंड धनुष कुंड में भगवान राम अपना धनुष रखा करते थे। इसी से इसका नाम धनुष कुंड पड़ा। गंगा गोदावरी का उद्गम स्थान भी यहीं पर है। गोदावरी महर्षि गौतम की पुत्री थीं। जब उन्हें पता चला कि भगवान राम पंचवटी में आए हैं तो उन्होंने अपने पिता से कहा कि अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं उनसे मिलने के लिए जाना चाहती हूं, लेकिन पिता ने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि बेटी मैं राम को यहीं पर बुलाऊंगा तुम उनसे मिल लेना, लेकिन गोदावरी जी नहीं मानी और यहां सीता कुंड में प्रकट हुईं। वे सीता जी की बचपन की सहेली थीं। यह भी पढ़ें: Ram Mandir के जुनून में कांच पर लिख दी Ramcharitmanas, प्रोफेसर ने बताया कैसे बनाया रिकॉर्ड?


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