Yunus Khan to Contest From Didwana as Independent Left BJP Rajasthan Assembly Election: राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 से पहले वसुंधरा राजे के कट्टर समर्थक यूनुस खान ने भाजपा छोड़ने का ऐलान कर दिया है। यूनुस खान ने आज डीडवाना में कार्यकर्ताओं और समर्थकों के सामने यह घोषणा की। बता दें कि यूनुस खान को भाजपा ने इस बार टिकट नहीं दिया था। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही थी कि वे कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। इससे पहले पार्टी ने उन्हें 2018 के विधानसभा चुनाव में टोंक से उम्मीदवार बनाया था।
बता दें कि भाजपा ने तीसरी सूची में 58 सीटों के नाम का ऐलान किया था। इस सूची में डीडवाना से भाजपा ने जितेंद्र सिंह जोधा को प्रत्याशी बनाया था। पार्टी ने 2018 में भी इन्हें ही प्रत्याशी बनाया था। हालांकि तब वे चुनाव हार गए थे। इसके अलावा पार्टी ने टोंक से भी उनको टिकट नहीं दिया। टोंक से इस बार पार्टी ने सचिन पायलट के सामने अजीत मेहता को उम्मीदवार बनाया है।
पहला चुनाव हार गए थे
सीकर के गणेदी गांव में जन्मे यूनुस खान ने डीडवाना से स्नात्तकोत्तर किया था। इसके बाद जयपुर आकर एलआईसी का काम करने लगे। 80 के दशक के अंत में राजस्थान में भैंरोसिंह शेखावत के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार थी। इस सरकार में एक मंत्री थीे रमजान खान। शेखावत को डीडवाना और लाडनूं से चुनाव लड़ने के लिए मुस्लिम उम्मीदवार की तलाश थी। ऐसे में रमजान खान की मुलाकात यूनुस खान से हुईं और रमजान ने शेखावत के सामने यूनुस खान के नाम प्रस्ताव रख दिया।
2013 में वसुंधरा सरकार में बने मंत्री
इसके बाद भैंरोसिंह शेखावत ने 1998 में उन्हें डीडवाना से पहली बार चुनाव मैदान में उतारा। हालांकि यूनुस उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सके और वे चुनाव हार गए। इसके बाद पार्टी ने एक बार फिर 2003 में उन्हें उम्मीदवार बनाया इस बार वे कांग्रेस के रूपाराम डूडी को हराकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद डीडवाना से युनूस ने 2013 में जीत दर्ज की। 2013 में यूनुस खान को वसुंधरा राजे ने मंत्री बनाया और पीडब्ल्यूडी और परिवहन जैसे भारी-भरकम मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी। 2018 के चुनावों में पार्टी ने उन्हें सचिन पायलट के सामने टोंक से प्रत्याशी बनाया लेकिन इस बार वे 54 हजार से अधिक मतों से हार गए।