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बम की धमकी वाला ईमेल और 12 घंटे की चुप्पी! बाड़मेर में कलेक्टर टीना डाबी के बयान पर उठे गंभीर सवाल

IAS Tina Dabi now in trouble: IAS टीना डाबी एक बार फिर तगड़े विवाद में फंसती दिख रही हैं. ताजा मामला पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे और अति संवेदनशील सीमावर्ती जिला बाड़मेर के जिला कलेक्टर ऑफिस को बम से उड़ने की धमकी का मामला है. आरोप है कि टीना डाबी ने करीब 12 घंटे तक इस धमकी के मेल को अपने पास छुपाए रखा.

IAS Tina Dabi now in trouble: करीब 3 दिन पहले स्कूली बच्चों द्वारा रील स्टार कहने पर उन्हें थाने ले जाने के मामले में विवादों में आई बाड़मेर कलेक्टर IAS टीना डाबी एक बार फिर तगड़े विवाद में फंसती जा रही है .इस बार मामला पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे और अति संवेदनशील सीमावर्ती जिला बाड़मेर के जिला कलेक्टर ऑफिस को बम से उड़ने की धमकी का मामला है आरोप है कि टीना डाबी ने करीब 12 घंटे तक इस धमकी के मेल को अपने पास छुपाए रखा विधि इस दौरान कोई अपनी घटना हो जाती है तो शायद उनके लिए मुश्किल बहुत ज्यादा बढ़ जाती. विवाद तब और गहरा गया जब मीडिया ब्रीफिंग में जिला कलेक्टर की ओर से यह कहा गया कि धमकी भरा ई-मेल सुबह 9 बजे प्राप्त हुआ, जबकि वायरल ई-मेल में समय रात 10:45 बजे का बताया जा रहा है. यह भी दावा किया जा रहा है कि उक्त ई-मेल कलेक्टर के मोबाइल फोन में उसी समय खुला हुआ था.

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IAS ढाबी के बयानों में विरोधाभास

कलेक्टर को मिली धमकी भरी ई-मेल और उसे लेकर दिए गए बयानों में विरोधाभास अब चर्चा का विषय बन गया है. सूत्रों के मुताबिक, जिला कलेक्टर को रात 10:45 बजे एक धमकी भरा ई-मेल प्राप्त हुआ था, जिसका स्क्रीनशॉट/ई-मेल लेटर अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. हैरान करने वाली बात यह है कि इस गंभीर सूचना की जानकारी पुलिस को अगले दिन सुबह करीब 10 बजे दी गई. यानी लगभग 12 घंटे तक सुरक्षा एजेंसियों को सूचना नहीं दी गई.

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उठते हैं बड़े सवाल

इस पूरे घटनाक्रम ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.यदि इन 12 घंटों के भीतर कोई अप्रिय या आतंकी घटना घट जाती, तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होती? एक सीमावर्ती और अति संवेदनशील जिले में धमकी जैसी सूचना को तुरंत साझा न करना क्या सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन नहीं है?मीडिया के सामने ई-मेल के समय को लेकर अलग-अलग बयान देना भ्रम और संदेह को जन्म नहीं देता? जानकारों का मानना है कि यह मामला सिर्फ एक प्रशासनिक चूक तक सीमित नहीं है, बल्कि सुरक्षा और जवाबदेही से भी जुड़ा हुआ है.

जांच की मांग तेज

अब इस प्रकरण को लेकर स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग उठने लगी है. जानकारों का कहना है कि यदि तथ्य सही पाए जाते हैं तो दोषियों पर सख्त प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई तय होनी चाहिए. जनता और प्रशासन के बीच भरोसा बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि पूरे मामले की सच्चाई सामने लाई जाए, न कि विरोधाभासी बयानों के जरिए स्थिति को उलझाया जाए. बाड़मेर जैसे संवेदनशील जिले में सुरक्षा से जुड़ी हर सूचना पर समय पर और पारदर्शी कार्रवाई ही प्रशासन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी मानी जाती है.

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