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अजमेर दरगाह में ‘संकट मोचन मंदिर’: अंजुमन कमेटी ने हाईकोर्ट से की सुनवाई पर रोक की मांग

Rajasthan Ajmer Dargah: अजमेर दरगाह में 'संकट मोचन मंदिर' होने के दावे के मामले में गुरुवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान अजमेर दरगाह के वकीलों ने सुनवाई पर रोक की मांग की। वहीं दूसरी एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजदीपक रस्तोगी ने इसका विरोध किया।

ajmer dargah and high court
केजे श्रीवत्सन Rajasthan Ajmer Dargah: अजमेर की विश्व प्रसिद्ध दरगाह शरीफ में 'संकट मोचन मंदिर' होने के दावे को लेकर विवाद अब राजस्थान हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। दरगाह शरीफ के खादिमों की संस्था अंजुमन कमेटी ने इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अजमेर की सिविल अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की है। अंजुमन कमेटी के वकीलों का तर्क 3 अप्रैल को दाखिल की गई इस याचिका पर गुरुवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अंजुमन कमेटी की ओर से पेश हुए वकीलों ने तर्क दिया कि 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट इस मामले में लागू होता है। इस कानून के अनुसार किसी भी धार्मिक स्थल के धार्मिक स्वरूप में बदलाव को चुनौती नहीं दी जा सकती, और ऐसे मामलों में अदालतों को सुनवाई का अधिकार नहीं है। सरकारी वकील ने याचिका का किया विरोध वहीं, दूसरी तरफ केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजदीपक रस्तोगी ने इस याचिका का विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि अंजुमन इस मामले में पक्षकार नहीं है, इसलिए उसे अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने का अधिकार नहीं है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दायर की याचिका गौरतलब है कि अजमेर जिला न्यायालय में हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से एक याचिका दायर की गई है, जिसमें दरगाह परिसर में प्राचीन शिव मंदिर होने का दावा किया गया है। इसी याचिका को चुनौती देने के लिए अंजुमन कमेटी हाईकोर्ट पहुंची है। इस संवेदनशील मामले में अब अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी।


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