Resort Politics Vasundhara Raje Rajasthan CM Candidate: बीजेपी के चुनाव जीतने के बाद राजस्थान सीएम पद को लेकर जद्दोजहद शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि बीजेपी आलाकमान राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नए सीएम देना चाहता है। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दिल्ली पहुंच गई हैं तो वहीं दूसरी ओर उनके बेटे दुष्यंत सिंह पर विधायकों की बाड़ेबंदी करने का आरोप लगा है।
दुष्यंत सिंह पर कांग्रेस नेता के होटल में बीजेपी-कांग्रेस के 7 विधायकों को रोके जाने का आरोप है। बीजेपी विधायक ललित मीणा के पिता ने ये आरोप लगाया। कहा जा रहा है कि यदि राजे को सीएम नहीं बनाया जाता है तो वह सचिन पायलट की तरह बगावत कर सकती हैं। ऐसे में राजे को कितनी सीटों की जरूरत पड़ेगी, आइए जानते हैं...
आसान नहीं होगी बगावत की राह
वसुंधरा राजे ने चुनाव जीतते ही दूसरे दिन बीजेपी के कई विधायकों को डिनर पर बुलाया था। बताया जाता है कि 30 से ज्यादा विधायक उनके घर पहुंचे थे। कई विधायकों ने मीडिया से बातचीत में राजे को ही सीएम बनाने की मांग की थी। यदि राजे को 30 विधायकों का समर्थन मिल जाता है तब भी उनके लिए सरकार बनाना आसान नहीं होगा।
राजस्थान में 199 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुए। ऐसे में किसी भी पार्टी को बहुमत के लिए 100 सीटों की जरूरत होगी। बीजेपी के पास 115 विधायक हैं। यदि राजे समेत 30 विधायक अलग भी हो जाते हैं तो बीजेपी के पास बहुमत जरूर कम होगा, लेकिन इसके बावजूद 85 सीटों के साथ वह राज्य की सबसे बड़ी पार्टी रहेगी।
कांग्रेस ने इस चुनाव में 69 सीटें हासिल की हैं। यदि राजे 30 सीटों के साथ कांग्रेस में शामिल होती हैं तो उसके पास 99 सीटें हो जाएंगी। आरएलडी को कांग्रेस का समर्थन प्राप्त है, ऐसे में उसका काम बन सकता है। हालांकि किसी भी संभावित स्थिति से बचने के लिए कांग्रेस को निर्दलीय या बसपा के विधायकों का समर्थन चाहिए होगा।
विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 115 और कांग्रेस के 69 के अलावा भारतीय आदिवासी पार्टी ने 3, बसपा ने 2, आरएलडी ने 1 और आरएलटीपी ने 1 सीट पर कब्जा जमाया है। जबकि निर्दलीय ने 8 सीटों पर जीत हासिल की है। यानी कांग्रेस-बीजेपी के अलावा अन्य ने 15 सीटों पर जीत हासिल की है। इसमें से कई विधायक बीजेपी के बागी हैं।
कांग्रेस अन्य पार्टियों के विधायकों के साथ सरकार बना सकती है। हालांकि राजे के कांग्रेस में जाने के बाद फिर वही सवाल खड़ा होगा कि सीएम कौन होगा? ऐसे में ढाई-ढाई साल या फिर उप-मुख्यमंत्री वाला फॉर्मूला लाया जा सकता है। राजनीति में सब संभव है, ऐसे में इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता। सनद रहे कि बिहार में नीतीश कुमार एनडीए का दामन छोड़ने के बाद अपनी धुर-विरोधी आरजेडी के साथ सरकार बना चुके हैं।
त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति
यदि कोई भी राजनीतिक दल या गठबंधन पूर्ण बहुमत हासिल नहीं करता तो इसे त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति माना जाता है। ऐसे में राज्यपाल ज्यादा सीटें हासिल करने वाली पार्टी को पहले सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं। इसके बाद आमतौर पर बहुमत दिखाने के लिए 10 दिनों का समय दिया जाता है। यदि बहुमत नहीं मिलता है तो राज्यपाल इसे भंग कर दोबारा चुनाव करने की अपील करते हैं।
राजस्थान में फिलहाल अल्पमत की सरकार होने की स्थिति नहीं है क्योंकि कोई भी पार्टी सत्ता में नहीं है। बताते चलें कि दल-बदल विरोधी कानून में एक राजनीतिक दल को किसी अन्य राजनीतिक दल में तय नियम के साथ विलय की अनुमति दी गई है। इसके लिए उसके कम-से-कम दो-तिहाई विधायकों का समर्थन जरूरी है। ऐसे में उन पर दल-बदल विरोधी कानून भी लागू हो सकता है। कहा तो ये भी जा रहा है कि वसुंधरा राजे को यदि सीएम नहीं बनाया जाता है तो बीजेपी के पास उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाने का भी विकल्प है। ऐसा पहले कई बार हो चुका है। देखना दिलचस्प होगा कि वसुंधरा राजे का राजनीतिक भविष्य क्या होता है।