Rajasthan Assembly Speaker Vasudev Devnani: राजस्थान विधानसभा में बीजेपी और कांग्रेस के बीच तकरार जारी है। विधानसभा में पिछले 5 दिनों से ‘दादी वाले बयान’ को लेकर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को निलंबित विधायकों को विधानसभा में प्रवेश नहीं करने दिए जाने पर कांग्रेस ने जमकर हंगामा किया। इस बीच, पीसीसी अध्यक्ष (राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष) गोविंद सिंह डोटासरा के बयानों से आहत विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी सदन में भावुक हो गए। अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए वे दो बार रो पड़े, इस दौरान उनका गला रूंध गया। उन्होंने कहा कि उन्हें अपशब्द कहा गया। उन्होंने यहां तक कहा कि ‘डोटासरा विधायक बनने के योग्य नहीं हैं।’
'मैंने कभी भी पक्षपात नहीं किया'
देवनानी ने कहा, 'मुझपर सत्ता पक्ष को बचाने का आरोप लगता है, लेकिन मैं आत्मविश्वास के साथ कह सकता हूं कि मैंने कभी भी पक्षपात नहीं किया और न करूंगा।' ये कहते कहते वासुदेव देवनानी भावुक हो गए और उन्होंने पानी भी पी।उन्होंने कहा कि इस तरह के शब्द सुनने के बाद मन में पीड़ा होना स्वाभाविक है। मुझे अपशब्द कहे गए। समझौता का पालन नहीं किया गया, टीवी पर भी दिख रहा था किस तरह का शब्द इस्तेमाल किया गया।देवनानी की आंखों में आए आंसू
वासुदेव देवनानी ने आगे कहा, 'आप सभी आसन का सम्मान करें, परंपरा चलती रहे। यहां की मर्यादाएं बने। मैं छोटा सा कार्यकर्ता था, कॉलेज में पढ़ाता था, कभी सोचा नहीं था कि यहां तक पहुंचूंगा।' यह कहते हुए देवनानी की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा कि सदन की मर्यादा रखने के लिए सभी प्रतिबद्ध रहें। मैं यही आशा करता हूं। इसी दौरान सत्ता पक्ष की तरफ से विधायकों ने हंगामा किया और मांग की कि डोटासरा (राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष) के चुनाव लड़ने पर आजीवन बैन लगना चाहिए। वहीं, गोविंद सिंह डोटासरा ने स्पीकर वासुदेव देवनानी को चुनौती देते हुए कहा कि अगर कोई गीता पर हाथ रखकर यह साबित कर दे कि मेरी माफी की बात हुई थी, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।'कठोर कदम उठाए जाने चाहिए'
विधानसभा अध्यक्ष ने पूरे घटनाक्रम के लिए विपक्ष को दोषी ठहराया और कहा कि अब इस पूरे मुद्दे पर आगे किस तरह से कठोर कदम उठाए जाने चाहिए, सदन को ही यह तय करना होगा। क्योंकि बात उनकी व्यक्तिगत सम्मान की नहीं बल्कि आसन की मर्यादाओं से जुड़ी परंपरा और कर्तव्यों की है। वासुदेव देवनानी ने सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद विधानसभा के अंदर ही कांग्रेस के निलंबित विधायक गोविंद सिंह डोटासरा द्वारा आसन को देखकर अपशब्द कहे जाने पर भी गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आसन का सम्मान होना चाहिए और उन्हें लगता है कि ऐसे जनप्रतिनिधि को कभी भी सदन में आने का अधिकार ही नहीं होना चाहिए। हालांकि, यह बात सदन तय करेगा कि ऐसे आचरण वाले विधायक के खिलाफ क्या कार्रवाई की जानी चाहिए?'आसन के पास हंगामा करने वाले विधायक स्वत: निलंबित माने जाएंगे'
विधानसभा अध्यक्ष ने लोकसभा की तरह यह व्यवस्था भी कर दी कि आसन के पास आकर हंगामा करने वाले विधायक अब स्वत: ही निलंबित माने जाएंगे। उसके लिए अलग से प्रस्ताव लाने की कोई जरूरत नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि गतिरोध तोड़ने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों और मंत्रियों से बातचीत की कोशिश भी शुरू की गई है। मंत्री को भी खेद जताना था, लेकिन अपनी बात पर ही अड़े रहकर विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया जिससे बात आगे नहीं बढ़ सकी।---विज्ञापन---
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